Railway Knowledge: ट्रेन में सफर के दौरान अक्सर बिना टिकट या अनाधिकृत टिकट लेकर यात्रा करने वाले लोग टीटीई और टीसी से घबराते हैं. रेलवे के ये दोनों अधिकारी यात्रियों के टिकट की जांच करते हैं. टीटीई हमेशा ट्रेन में, तो टीसी प्लेटफॉर्म पर टिकट चेक करते हैं. कुछ मौकों पर रेलवे मजिस्ट्रेट स्वयं सघन टिकट चेकिंग अभियान का नेतृत्व करते हैं.जब भी ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर रेलवे मजिस्ट्रेट टिकट चेकिंग अभियान के दौरान तैनात रहते हैं तो यात्रियों में खलबली मच जाती है. मजिस्ट्रियल चेकिंग के बारे में काफी कम लोग ही जानते हैं. अक्सर रेलवे स्टेशन या ट्रेनों में होने वाली मजिस्ट्रियल चेकिंग से यात्री खौफ में रहते हैं.
क्या रेलवे की मजिस्ट्रियल चेकिंग?
रेल में बिना टिकट यात्रा और अनाधिकृत टिकट लेकर सफर करना कानूनन अपराध है. ऐसे करने पर यात्रियों के खिलाफ जुर्माने और सजा की कार्रवाई की जाती है या दोनों लगाया जा सकता है. यह सब जानने के बावजूद भी कुछ यात्री ट्रेनों में बिना टिकट सफर करते हैं. ऐसे यात्रियों की धरपकड़ के लिए टीटीई और टीसी ट्रेन व प्लेटफॉर्म पर तैनात किए जाते हैं.
अचानक रोकी जाती है ट्रेन
कुछ मौकों पर रेलवे मजिस्ट्रेट स्वयं टिकट चेकिंग अभियान का नेतृत्व करते हैं. खासकर, त्योहारी सीजन में मजिस्ट्रियल चेकिंग अक्सर देखने को मिलती है. मजिस्ट्रियल चेकिंग में ट्रेन को किसी छोटे स्टेशन पर अचानक पर रोक दिया जाता है या चलती ट्रेन में रेलवे का स्टाफ पुलिसकर्मियों के साथ सवार होकर टिकट चेकिंग करता है.
रेलवे कर्मचारी हर कोच में पहुंचकर सभी यात्रियों के टिकट चेक करते हैं. इस दौरान अगर कोई व्यक्ति बिना टिकट, अमान्य टिकट या गलत तरीके से यात्रा करते हुए पाया जाता है तो उसे रेलवे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है.
कड़े जुर्माने की कार्रवाई
इसके बाद रेलवे मजिस्ट्रेट आरोपी यात्री पर जुर्माना लगाते हैं. यदि कोई प्रवासी दंड देने से मना करता है तो उसके विरुद्ध केस दर्ज कर जेल भेज दिया जाता है. इसलिए मजिस्ट्रियल चेकिंग से अक्सर लोग डरते हैं. देशभर में कई स्टेशनों पर अचानक मजिस्ट्रेट चेकिंग होती है.देशभर में हर साल मजिस्ट्रियल चेकिंग में किसी एक स्टेशन पर हजारों यात्री बिना टिकट यात्रा करते हुए पकड़े जाते हैं. ऐसे में उनसे जुर्माने के तौर पर लाखों रुपये की राशि वसूल की जाती है.