नई दिल्ली- रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में चोरी और छीना-झपटी जैसे अपराध खूब होते हैं. रेलवे ने इन अपराधों की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन आपराधिक घटनाओं पर पूरी तरह लगाम नहीं लगी है. बहुत से लोग ऐसे हैं जो बार-बार रेलवे स्टेशन पर चोरी, लूट और छीना-झपटी की घटनाओं को अंजाम देते हैं. पुलिस द्वारा इन्हें पकड़ा जाता है. सजा काटकर या जमानत पर आकर ये फिर से अपराध करना शुरू कर देते हैं.
अब ऐसे ही आदतन अपराधियों पर नकेल कसने को सेंट्रल रेलवे ने 364 रेलवे स्टेशनों पर फेस रिकग्निशन कैमरे यानी चेहरा पहचानने वाले कैमरे लगाने का फैसला किया है. इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए रेलवे बोर्ड ने इसके लिए रेलटेल (RailTel) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर साइन किया है.
फेस रिकग्निशन सिस्टम, वीडियो एनालिटिक्स, वीडियो मैनेजमेंट सिस्टम वाले कैमरों के साथ पैसेंजर्स की सिक्योरिटी को बढ़ाया जाएगा. इन कैमरों का फायदा ये होगा कि अगर किसी व्यक्ति का पहले से क्रिमिनल रिकॉर्ड है या जिसकी तलाश में पुलिस है, इन कैमरों की सहायता से आसानी से पकड़ा जाएगा. ये कैमरे हर उस व्यक्ति को पहचान सकते हैं जिसका चेहरा पहले से डेटाबेस में रिकॉर्ड किया गया है. जैसे ही वे किसी स्टेशन में प्रवेश करते हैं, तो प्रशासन को ज्ञात अपराधियों की उपस्थिति के बारे में तुरंत सचेत कर देते हैं, वे चेहरे के विभिन्न हिस्सों, जैसे रेटिना या माथे की पहचान कर सकते हैं.
लगेंगे 3652 कैमरे
सेंट्रल रेलवे का कहना है कि 364 रेलवे स्टेशनों पर 3652 फेस रिकग्निशन वाले कैमरों सहित 6122 क्लोज्ड सर्किट टीवी (CCTV) कैमरे इंस्टाल किए जाएंगे. मुंबई सबअर्बन नेटवर्क के सभी स्टेशनों सहित सेंट्रल रेलवे स्टेशनों को जल्द ही फेस रिकग्निशन यानि चेहरे की पहचान करने वाले कैमरों से लैस किया जाएगा. मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, दादर, कुर्ला, ठाणे, लोकमान्य तिलक टर्मिनस और कल्याण स्टेशनों पर ये कैमरे नहीं लगेंगे. इसका कारण यह है कि इन स्टेशनों पर पहले से ही इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी सिस्टम का कर रहा है.
30 दिन तक डेटा रहेगा स्टोर
सेंट्रल रेलवे फेस रिकग्निशन के लिए HD और 4K कैमरे लगाएगा. एचडी कैमरा हर महीने 750 जीबी डेटा की खपत करता है, जबकि 4K कैमरे प्रति माह 3TB डेटा की खपत करते हैं. वीडियो फुटेज को घटना के बाद के विश्लेषण, प्लेबैक और जांच उद्देश्यों के लिए 30 दिनों तक स्टोर किया जाएगा.