इस एक्सप्रेस-वे के बनने से किन शहरों को फायदा होगा? ये कितने समय में बनकर तैयार हुआ है? कितनी कॉस्ट आई है? आने वाले चुनाव पर इसका कितना इम्पैक्ट पड़ेगा? आइये जानते हैं…
एक्सप्रेस-वे पर चढ़ने और उतरने के लिए लिमिटेड एंट्री-एग्जिट पॉइंट होते हैं, जबकि हाइवे पर चौराहे और रेड लाइट भी होती हैं। एक्सप्रेस-वे पर चढ़ने या उससे उतरने के लिए आपको एक ढलान मिलती है। एक्सप्रेस-वे को सिग्नल-फ्री बनाने के लिए ओवरपास और अंडरपास का इस्तेमाल होता है। ये छह से लेकर 14 लेन तक होते हैं। इस वजह से ट्रैफिक स्पीड काफी तेज होती है।
किन शहरों से गुजरेगा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे?
ये एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के 9 शहरों से होकर गुजरेगा। इममें लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, अम्बेडकर नगर, अमेठी, सुल्तानपुर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर शामिल हैं। इस एक्सप्रेस-वे की वजह से वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज जैसे जिलों को भी फायदा होगा। UP सरकार का अनुमान है कि इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने पर हर रोज 15 से 20 हजार वाहन इस पर से गुजरेंगे। धीरे-धीरे ये संख्या और बढ़ेगी।
इसको बनाने में कितनी लागत आई है?
ये प्रोजेक्ट योगी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल है। इसकी कुल लागत 22 हजार 495 करोड़ रुपए आई है। इसमें जमीनों के अधिग्रहण का खर्ज भी शामिल है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉर्टी (UPEIDA) ने इस एक्सप्रेस-वे पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी अरेंजमेंट किए हैं। इसमें आवारा पशुओं को रोकने के लिए एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और फेंसिंग होगी। रास्ते में अलग-अलग जगह टीमें भी तैनात होंगी, जो एक्सप्रेस-वे पर आने वाले पशुओं को पकड़ेंगी।