नई दिल्ली- आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने कहा है कि स्थापित क्षमता का उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में निजी पूंजीगत व्यय भी जोर पकड़ेगा। वर्मा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने ही निवेश का बोझ उठाया है जबकि निजी पूंजीगत व्यय बहुत कम रहा है।उन्होंने कहा कि क्षमता उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है और यह उस स्तर के करीब पहुंच रहा है जो निजी क्षेत्र को कम-से-कम कुछ क्षेत्रों में पूंजीगत व्यय करने के लिए प्रेरित करता है।
भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM), अहमदाबाद में प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि हाल के वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में हुए बड़े निवेश में निजी क्षेत्र के निवेश को भी आकर्षित करने की गुंजाइश बरकरार है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर मुझे उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में निजी पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी होगी और यह सार्वजनिक क्षेत्र से निवेश की कमान संभाल लेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत मध्यम-आय के जाल में फंसने से बच सकता है, वर्मा ने कहा कि भारत के लिए इस बदलाव को अंजाम देना जरूरी है, क्योंकि इसमें मिली नाकामी देश की विशाल आबादी के लिए बेहद नुकसान पहुंचाने वाली होगी। प्रोफेसर वर्मा ने यह माना कि ऐसा करना आसान नहीं होगा।
मध्यम आय वाले देशों में दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी
मध्यम आय वाले देशों में दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी और 62 प्रतिशत गरीब रहते हैं। ये देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं और वैश्विक वृद्धि के प्रमुख इंजन हैं। विश्व बैंक के अनुसार, दुनिया के मध्यम आय वाले देश आकार, जनसंख्या और आय स्तर के हिसाब से एक विविध समूह हैं।निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं वे हैं, जिनकी प्रति व्यक्ति 1,036 डालर और 4,045 डालर के बीच है। उच्च मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं वे हैं, जिनकी प्रति व्यक्ति आय 4,046 डालर और 12,535 डालर के बीच है। 12,000 डालर से अधिक की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय वाले देशों को उच्च आय वाले देश के तौर परिभाषित किया गया है।