अमोनिया से रातभर में बना देते हैं पुराने को नया, क्‍या आप भी खा रहे हैं केमिकल वाला आलूू?

नई दिल्‍ली- अब तक आपने पैदावार को बढ़ाने, सब्जियों को ताजा रखने, लौकी-तोरई व कद्दू को जल्दी बड़ा करने और फलों को पकाने के लिए केमिकल का प्रयोग करने के बारे में खूब सुना होगा। लेकिन क्‍या आपने पुराने आलू को केमिकल के जरिये नया करने के बारे में सुना है, अगर नहीं तो अब जान लीजिए कि ज्यादा मुनाफे के लालच में कारोबारी आपको आलू की जगह जहर खिला रहे हैं। बाजार में अभी जितना भी नया आलू बिक रहा है, उसमें से 80 प्रतिशत आलू वो है, जो पुराने आलू को केमिकल से तैयार कर नया बनाया गया है। पुराने आलू से नया आलू कैसे तैयार किया जा रहा है और इसका हेल्थ पर क्या असर पड़ता है? नए असली और नकली आलू को कैसे पहचानें?

अभी खुदाई में वक्त है

उत्‍तर प्रदेश का फर्रुखाबाद, कानपुर और कन्नौज आदि जिले आलू उत्पादन के लिए मशहूर हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा हिमाचल, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, गुजरात और मध्य प्रदेश में आलू की खेती होती है।अभी नए आलू की खुदाई शुरू नहीं हुई है। आलू की खुदाई में अभी एक से डेढ़ महीने का वक्त लगेगा। अभी कुछ किसान खुद के खाने भर के लिए खुदाई कर रहे हैं। मथुरा, अलीगढ़, आगरा, हाथरस और एटा में आलू की बुआई हो रही है। आलू की फसल तीन महीने में तैयार होती है। यानी कि फरवरी में खुदाई शुरू होगी।यानी कि जिस आलू की अभी खुदाई शुरू ही नहीं हुई है, उसके नाम पर दिल्‍ली-मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में ठेले और बाजार में केमिकल से बनाया गया ‘नया आलू’ धड़ल्ले से बिक रहा है।

अभी कम मात्रा में आ रहे नए आलू

किसानों से बात करने के बाद  उन्‍होंने बताया कि 16 नवंबर से मंडी में नया आलू आना शुरू हुआ है। उससे पहले साहिबाबाद मंडी में नया आलू नहीं आ रहा है। अभी सिर्फ 100 क्विंटल प्रतिदिन ही आ रहा है। नए आलू की ये खेप पंजाब से आ रही है। बाकी राज्‍यों से पुराना आलू ही आ रहा है।

जब मंडी में नहीं आ रहा था नया आलू, तब बाजार में कैसे?

इस सवाल के जवाब में आजादपुर मंडी में आलू व्यापारियों में से एक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि अभी तक बाजार में जो नया आलू बिक रहा, वो दरअसल नया नया आलू है ही नहीं। ये नया आलू अमोनिया से तैयार हुआ पुराना आलू है। यानी जो लोग नया आलू खा रहे हैं, वो केमिकल वाला आलू खा रहे हैं।

पुराने से नया आलू कैसे तैयार होता है?

आलू व्‍यापारी के मुताबिक, कृषि केंद्रों पर अमोनिया नाम का केमिकल 50 रुपये किलो में आसानी से मिल जाता है। मिलावटखोर अमोनिया को पानी में अच्‍छे से घोलते हैं। फिर उसमें पुराने आलू को डालकर करीब 14 घंटे के लिए छोड़ देते हैं। जब 14 से 15 घंटे बाद आलू को निकाला जाता है तो उसके छिलके पतले हो जाते हैं और आसानी से छुटने लगते हैं। केमिकल से निकालने के बाद आलूओं को मिट्टी में डालकर सुखाया जाता है।

असली नए और केमिकल वाले आलू की पहचान कैसे करें?

असली नए आलू की सबसे पहली पहचान यह है कि इस पर मिट्टी लगी होती है, वो धुलने पर एक बार पानी में डालने पर नहीं निकलती है। जबकि केमिकल से तैयार आलू पर जो मिट्टी लगी होती है, वो आलू को पानी में डालते ही घुल जाती है और आलू साफ हो जाता है। असली नया आलू काटने पर पानी नहीं छोड़ता, केमिकल से तैयार आलू काटने पर किनारों से पानी छोड़ता नजर आएगा।

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