नई दिल्ली– भारत सरकार ने सभी लोगों के पास बैंक अकाउंट हो इसके लिए साल 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) शुरू की थी। इस योजना के 10 साल पूरे हो गए हैं। अगर योजना की सफलता की बात करें तो यह योजना लोगों को काफी पसंद आई।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं आगे
योजना में पुरुषों की तुलना में सबसे ज्यादा भागीदारी महिलाओं की थी। जन-धन अकाउंट में महिलाओं की हिस्सेदारी 80 फीसदी है। योजना में महिलाओं की भागीदारी 2011 में 26 फीसदी और 2021 में 78 फीसदी हो गई थी। इन आंकड़ों से ही पता चलता है कि महिलाओं के बीच जनधन योजना काफी पॉपुलर है।
मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार कुल 53.13 करोड़ जनधन अकाउंट हैं। इन अकाउंट में से 30 करोड़ अकाउंट महिलाओं के हैं। 35 करोड़ अकाउंट ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खुले हैं। पीएम जन धन योजना ने बैंक अकाउंट के मामले में ग्रामीण-शहरी के अंतर को एकहद तक कम कर दिया।योजना ने फाइनेंशियल सर्विस तक पहुंच में लैंगिक अंतर को भी एकहद तक कम कर दिया। वर्ष 2011 में वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में लिंग अंतर 20 प्रतिशत था और 2017 में यह घटकर 6 प्रतिशत हो गया।
योजना की विशेषता बनाती है इसे खास
अगस्त 2024 तक पीएम जनधन योजना के तहत 36.13 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी हो गए हैं। इन कार्ड को जारी करने में कोई राशि नहीं लगती है। इसके अलावा इस कार्ड पर खाताधारक को 2 लाख रुपये का इंश्योरेंस बेनिफिट और 10,000 रुपये का ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी भी मिलती है।स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि PMJDY अकाउंट में आई वृद्धि के बाद क्राइम रेट्स में गिरावट देखने को मिली है, जिससे समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
जनधन योजना की पॉपुलेरिटी देश के बाहर भी है। विदेश में भी इस योजना की तारीफ की जा रही है। 2023 में हुए G20 बैठक के बाद विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत ने अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को केवल 6 वर्षों में हासिल कर लिया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।