वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के आखिरी पांच दिन बहुत ही खास होते हैं। पूरे वैशाख महीने अगर स्नान-दान और भगवान विष्णु की पूजा न कर पाएं तो इन पांच दिनों में धर्म-कर्म करने से ही पूरे महीने का पुण्य फल मिल जाता है। ये पुण्य फलदायी पांच दिन 1 से 5 मई तक रहेंगे।वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को समुद्र मंथन से अमृत प्रकट हुआ। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने उस अमृत की रक्षा की थी। त्रयोदशी को भगवान विष्णु ने देवताओं को वो अमृत पिलाया था। चतुर्दशी पर असुरों को मारा था और पूर्णिमा पर सभी देवताओं को उनका साम्राज्य मिल गया था।

वैशाख मास के आखिरी पांच दिनों में कब कौन सा व्रत

  • मोहिनी एकादशी (सोमवार, 1 मई): वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। मोहिनी एकादशी व्रत रखने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस व्रत को करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है।
  • वैशाख द्वादशी (मंगलवार, 2 मई): वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा और दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के मधुसूदन रूप की पूजा और व्रत करने का विधान है। इससे अग्निष्टहोम करने जितना पुण्य फल मिलता है। वराह पुराण के मुताबिक इस तिथि पर ही तांबे के बर्तन में चंदन, धूप, फूल, चावल से भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान भी है।
  • प्रदोष व्रत (बुधवार, 3 मई): वैशाख मास में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नारद जी ने बताया कि वैशाख मास को ब्रह्माजी ने सब महीनों में उत्तम सिद्ध किया है। यह मास संपूर्ण देवताओं द्वारा पूजित है। इसलिए इस महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत के प्रभाव से दाम्पत्य जीवन में सुख बढ़ता है। शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
  • नृसिंह प्राकट्योत्सव (गुरुवार, 4 मई): पद्म पुराण के मुताबिक वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे। ये भगवान विष्णु का चौथा अवतार था। इनका आधा शरीर सिंह और आधा इंसान का था। इन्होंने राक्षस हिरण्यकश्यप को मारकर भक्त प्रहलाद को बचाया था।
  • वैशाख पूर्णिमा (शुक्रवार, 5 मई): वैशाख महीने की पूर्णिमा पर ब्रह्मा जी ने तिल का निर्माण किया था। इसलिए उस दिन दोनों तरह के तिल यानी सफेद और काले तिल वाले जल से नहाना चाहिए। इस तिथि पर अग्नि में तिल की आहुति देना चाहिए। साथ ही इस पूर्णिमा पर तिल और शहद से भरा बर्तन दान दें। ऐसा करने से हर तरह के पाप, परेशानियां और दोष खत्म हो जाते हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here