नई दिल्ली- आप ही एक सैलरीड पर्सन है तो आपको समय पर टैक्स का भुगतान करना चाहिए। पिछले साल बजट में नई टैक्स रिजीम की घोषणा की गई थी। इसटैक्स रिजीम के बाद सभी करदाता को पुरानी टैक्स रिजीम और नई टैक्स रिजीम में से एक सेलेक्ट करना है।ऐसे में टैक्सपेयर्स कैलकुलेशन कर रहे हैं कि इन दोनों टैक्स रिजीम में किसमें ज्यादा टैक्स बेनिफिट मिलेगा। इसके अलावा उनके लिए कौन-सी टैक्स रिजीम बेस्ट है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि पुरानी और नई टैक्स रिजीम में से आपको कौन-सी रिजीम सेलेक्ट करनी चाहिए।
न्यू टैक्स रिजीम टैक्स स्लैब
- नई टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये के सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
- अगर 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की एनुअल सैलरी होती है तब 5 फीसदी टैक्स लगता है।
- 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 10 फीसदी का टैक्स लगता है।
- इसी प्रकार 7.5 लाख से 10 लाख रुपये के एनुअल इनकम पर 15 फीसदी का कर लगाया जाता है।
- अगर टैक्सपेयर्स सालाना 10 लाख से 12.5 लाख रुपये तक कमाता है तब उसे 20 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होता है।
- जो करदाता 12.5 लाख से 15 लाख रुपये तक का सालाना इनकम कमाते हैं तो उन्हें 25 फीसदी के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है।
- वहीं, जिन करदाता की सालाना इनकम 15 लाख रुपये से ज्यादा है उन्हें 30 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होता है।
पुराना टैक्स रिजीम का टैक्स स्लैब
- पुरानी कर व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स का भुगतान नहीं करना होता है।
- जिन टैक्सपेयर्स की सालाना इनकम 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक है उन्हें 5% के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।
- वहीं, अगर एनुअल सैलरी 5 लाख से 10 लाख रुपये तक है तो 20फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा।
- अगर 10 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आय है तब 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा।
कितना मिलता है टैक्स डिडक्शन
अगर टैक्स छूट की बात करें तो इन दोनों टैक्स रिजीम में टैक्स छूट का लाभ उठाया जा सकता है। न्यू टैक्स रिजीम में आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत को छूट नहीं मिलती है। हालांकि टैक्सपेयर्स मानक छूट के तहत 50,000 तक का टैक्स डिडक्शन ले सकते हैं। पुरानी कर व्यवस्था में आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट दी जाती है। इसमें 1.50 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट का लाभ उठाया जा सकता है। अगर आपने कई जगह पर निवेश किया है तो आपको पुरानी कर व्यवस्था को सेलेक्ट करना चाहिए। बता कगें कि अगर आप पुरानी टैक्स रिजीम सेलेक्ट करने की सोच रहे हैं तो आप उसे तुरंत सेलेक्ट करें। क्योंकि इस बार न्यू टैक्स रिजीम ही डिफॉल्ट रिजीम है। इसका मतलब कि जो भी करदाता कोई टैक्स रिजीम सेलेक्ट नहीं करते हैं वह ऑटोमेटिक न्यू टैक्स रिजीम में शामिल हो जाएंगे।