अनाथ आरक्षण नीति में बदलाव – राज्य सरकार ने अनाथ आरक्षण नीति में बदलाव करने का फैसला किया है। गुरुवार को राज्य के महिला व बाल विकास विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी किया। इसके जरिए सरकार ने अनाथों को दिव्यांगों के तर्ज पर सरकारी और शिक्षा संस्थान (अर्धसरकारी और सरकार अनुदान इन संस्थान) में उपलब्ध पदों पर 1 का प्रतिशत आरक्षण लागू करने को मान्यता दी है।
इस आरक्षण के लिए पात्रता, मापदंड, आरक्षण के स्वरूप व शर्तों और अनाथों को प्रमाण जारी करने के स्वरूप को निश्चित किया गया है। अनाथ आरक्षण दिव्यांग आरक्षण की तर्ज पर लागू किया जाएगा। यह आरक्षण शैक्षणिक संस्थाओं के छात्रावास और व्यवसायिक शिक्षा प्रवेश और सरकारी पदों की भर्ती के लिए लागू होगा। पद भर्ती और शिक्षा संस्थाओं में उपलब्ध कुल पदों में से अनाथ बच्चों के लिए एक प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी। 18 साल की आयु पूरी होने से पहले जिन बच्चों के माता और पिता का निधन हो गया होगा और उनका पालन पोषण सरकार मान्यता प्राप्त संस्थाओं में हुआ होगा ऐसे बच्चों को अनाथ आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
प्रमाणपत्र के लिए करना होगा आवेदन
जिन बच्चें का सरकारी संस्थाओं और परिजनों के पास पालन पोषण हुआ होगा ऐसे बच्चे अनाथ प्रमाणपत्र के लिए जिला महिला व बाल विकास अधिकारी के पास आवेदन कर सकेंगे। जिला महिला व बाल विकास अधिकारी को मिले प्रस्ताव को महिला व बाल विकास विभाग की विभागीय की उपायुक्त के | पास भेजा जाएगा। इसके बाद विभागीय उपायुक्त अनाथ बच्चों को प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार होगा।