तीनों मार्गों पर चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध
अकोला – महामंडल की खटारा बसेस से यात्रा कर उब चूके यात्रियों को अब इलेक्ट्रीक बस की सौगात मिलने जा रही है. राज्य परिवहन महामंडल ने अमरावती से नागपुर, यवतमाल व अकोला रुट पर इलेक्ट्रीक बसेस दौडाने का प्रस्ताव मंजूर कर मुख्यालय रवाना कर दिया है. जल्द ही इस प्रस्ताव पर काम शुरु होगा. जिस तीन मार्ग पर इलेक्ट्रीक बसेस दौडाने का निर्णय लिया गया है. उन तीनों मार्गों पर चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध रहने की जानकारी मुख्यालय को भेजी गई है. एसटी महामंडल को होने वाले घाटे से उभरने के लिए बसेस की रनिंग कॉस्ट कम करने के विकल्प पर महामंडल काम कर रहा है. जानकारी के अनुसार तीन महीने पहले एसटी महामंडल के मध्यवर्ती कार्यालय की ओर से अमरावती मध्यवर्ती डिपो से इलेक्ट्रीक बसेस शुरु करने को लेकर जानकारी ली गई थी.
अमरावती से कौन कौन से शहर के लिए इलेक्ट्रीक बसें शुरु की जा सकती है. इसकी संभावनाएं टटोली गई. जिसके बाद इलेक्ट्रीक बसें चलाने के लिए लगने वाले चार्जिंग स्टेशन व इन्फास्ट्रक्चर मौजूद रहने वाले रुट्स पर मंथन करने के बाद अमरावती से नागपुर, यवतमाल व अकोला मार्ग पर संबंधित सुविधाएं उपलब्ध रहने की जानकारी महामंडल मुख्यालय को भेजी गई. अब आगामी दिनों में संबंधित प्रस्ताव पर अमल करने की हलचलें शुरु है.
वर्तमान स्थिति में डिजल के दाम बढ़ने से राज्य परिवहन महामंडल को अपना फिलिंग स्टेशन बंद करना पड़ा. जिसके बाद से महामंडल की बसों में निजी पेट्रोल पंपों से इंधन भराया जा रहा है. वर्तमान में लागत के मुकाबले आय बेहद कम रहने से बसेस की रनिंग कॉस्ट कम करने पर मंथन किया गया. जिसमें बताया गया कि, महामंडल को वर्तमान में 91 रुपए के खर्च पर 42 रुपए की आय होती है. जिसका मतलब है कि, महामंडल को डिझेल की बसेस चलाने में 54 प्रतिशत का घाटा सहना पड रहा है.
यहीं घाटा कम करने के लिए ग्रीन बसेस दौडाने का प्रस्ताव रखा गया है. इलेक्ट्रीक बसों की प्रति किमी लागत दर डिझेल की बसेस से काफी कम है. उसी प्रकार डिझेल बसेस की तुलना में बैटरी पर चलने वाली बसेस का मैंटनेंस भी कम है. यहीं वजह है कि, अब डिझेल पर दौडने वाली लालपरी के स्थान पर इलेक्ट्रीक लालपरी उतारने का निर्णय महामंडल ने लिया है.