प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की आजादी के 100 साल पूरे होने तक भारत को विकसित देशों की कतार में खड़े करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है. अब सरकारी थिंकटैंक नीति आयोग ने देश को विकसित बनाने का खाका तैयार किया है. नीति आयोग का कहना है कि विकसित बनने के लिए 2047 तक भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का प्रयास करना होगा और प्रति व्यक्ति आय को सालाना 18 हजार डॉलर पर लेकर जाना होगा.
नीति आयोग ने तैयार किया ये खाका
नीति आयोग ने देश को विकसित बनाने के लिए ‘विजन फोर विकसित भारत @ 2047: ऐन अप्रोच पेपर’ में खाका प्रस्तुत किया. आयोग ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए अर्थव्यवस्था को 3.36 ट्रिलियन डॉलर के मौजूदा स्तर से 9 गुना वृद्धि करने की जरूरत है. इसी तरह प्रति व्यक्ति आय को सालाना 2,392 डॉलर के स्तर से 8 गुना बढ़ाना होगा. विकसित बनने के लिए हमें 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनना होगा और 18 हजार डॉलर की प्रति व्यक्ति सालाना आय को हासिल करना होगा.
ऐसा होगा विकसित बनने पर भारत
आयोग ने पेपर में ये भी बताया है कि विकसित भारत का वास्तव में मतलब क्या है. आयोग के अनुसार, विकसित भारत ऐसा भारत होग, जिसमें एक विकसित देश के सारे गुण होंगे और प्रति व्यक्ति आय ऐसी होगी, जिसकी तुलना आज की दुनिया के उच्च आय वाले देशों के साथ की जा सकेगी. भारत को इसके लिए मध्यम आय वाले देश से प्रोग्रेस कर उच्च आय वाला देश बनना होगा.
आसान नहीं है विकसित बनने का रास्ता
2047 तक विकसित बनने का लक्ष्य पाना इतना आसान नहीं है. नीति आयोग ने इस राह की चुनौतियों के बारे में भी बताया है. बकौल आयोग, भारत को मिडल-इनकम ट्रैप में फंसने से बचना होगा और इससे बाहर आने के लिए सावधानी से काम करना होगा. उच्च-आय वाला देश बनने के लिए भारत को अगले 20-30 सालों तक 7 से 10 फीसदी की दर से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बरकरार रखने की जरूरत होगी. यह आसान नहीं है. अभी तक दुनिया में गिने-चुने देश ही ऐसी रफ्तार लंबे समय तक बरकरार रख पाए हैं.
इन चुनौतियों को पार कर मिलेगा लक्ष्य
वर्ल्ड बैंक की परिभाषा कहती है कि जिन देशों की सालाना प्रति व्यक्ति आय 14,005 डॉलर है (2023 के हिसाब से), उन्हें उच्च-आय वाला देश माना जाता है. नीति आयोग का कहना है कि भारत में इस लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता है. देश को मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स में क्षमता को बेहतर बनाने की जरूरत है. भारत को ग्रामीण और शहरी आय की खाई को पाटने का प्रयास करना होगा. ऐसी संरचनात्मक चुनौतियों से पार पाकर भारत भी विकसित देशों की कतार में शामिल हो सकता है.