दीपावली पर घर के बाहर रंगोली बनाने की है सदियों की परंपरा

नई दिल्ली -31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या दो दिन है, इस वजह से कुछ जगहों पर पंचांग भेद के कारण 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। दीपावली पर देवी लक्ष्य को प्रसन्न के लिए विशेष पूजा की जाती है। लक्ष्मी को प्रसन्न करन के लिए ही घर के बाहर रंगोली बनाने की भी परंपरा है।

  •  आंगन में रंगोली बनाने से घर के आसपास का वातावरण सकारात्मक और पवित्र बना रहता है। रंगोली के अलग-अलग रंग उत्सव के लिए उत्साह बढ़ाते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार रंगोली हमारे से जुड़े कई वास्तु दोषों को भी शांत करती है।
  • रंगोली बनाने से तनाव दूर होता है। रंगोली बनाना एक रचनात्मक काम है और जो लोग ये काम करते हैं, उन्हें पूरी एकाग्रता और सावधानी बनाए रखनी होती है। जब हम किसी काम को एकाग्रता के साथ करते हैं तो हमारा तनाव दूर होता है, दिमाग में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं।
  • रंगों का सही तालमेल होने से रंगोली सुंदर बनती है और जो लोग रंगोली के रंगों का सुंदर संयोजन देखते हैं, उन्हें प्रसन्नता मिलती है। रंगोली बनाने के साथ ही रंगोली को ध्यान से देखने से भी तनाव दूर होता है।

रंगों के सकारात्मक गुणों असर

  • स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाली विधियों में एक रंग चिकित्सा यानी कलर थैरेपी भी है। जब हम अलग रंगों को स्पर्श करते हैं तो उन रंगों के सकारात्मक गुणों का असर हमारी सेहत पर होता है। जैसे लाल, पीला, नारंगी रंग उत्साह बढ़ाता है। हरा, सफेद, हल्का नीला आंखों को सुकुन देता है।
  • देशभर में रंगोली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे कोलम कहते हैं। राजस्थान में रंगोली को मांडना, उत्तर भारत में चौकपूर्णा, बंगाल में अल्पना और बिहार में अरिपाना के नाम से जानते हैं।
  • मान्यता है कि जिन घरों के बाहर रंगोली बनी होती है, वहां देवी-देवताओं का वास होता है। रंगोली फूलों से बनाई जाती है। रंगोली हमारे घर की ओर देवी-देवताओं और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। सिर्फ दीपावली पर ही नहीं, घर के बाहर रंगोली रोज बनानी चाहिए। पुराने समय में लोग अपने-अपने घर के बाहर रोज रंगोली बनाते थे।

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