20 किमी तक फ्री, फिर जितनी यात्रा, उतना टोल; फास्टैग भी चलता रहेगा

नई दिल्ली-देश में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू हो गया है। सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को इसके बदले हुए नए नियम जारी किए।GNSS से लैस प्राइवेट गाड़ियों से नेशनल हाईवे पर रोज 20 किमी की दूरी तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। वे 20 किमी से ज्यादा जितनी दूरी तय करेंगे, उतनी ही दूरी का टोल वसूला जाएगा।फायदा उन्हीं गाड़ियों को होगा, जो GNSS से लैस हैं। इनकी संख्या अभी कम हैं, इसलिए यह व्यवस्था फिलहाल हाइब्रिड मोड पर काम करेगी। यानी टोल वसूली कैश, फास्टैग और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन से भी जारी रहेगी।

मैसूर और पानीपत हाईवे पर हुआ ट्रायल रन

जीएनएसएस से टोल वसूली के बेंगलुरु-मैसूर हाईवे (एनएच-275) और पानीपत-हिसार (एनएच-709) पर ट्रायल रन किए गए थे। इसके अलावा देश में फिलहाल कहीं भी जीएनएसएस के लिए डेडिकेटेड लेन नहीं है। वाहनों को जीएनएसएस वाला बनाने के लिए ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) या ट्रैकिंग डिवाइस लगवाना होगा।

वो सब कुछ, जो आपके लिए जानना जरूरी

  • हाईवे एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जीएनएसएस लागू होने के बाद जैसे ही गाड़ी हाईवे पर पहुंचेगी, उसका एंट्री पॉइंट ही टोल गेट होगा। हाईवे को छूने के साथ ही मीटर चालू हो जाएगा। स्थानीय लोगों को टोल गेट से 20 किमी जाने की छूट है। 21वें किलोमीटर से टोल काउंटिंग शुरू हो जाएगी।
  • हर टोल पर कुछ लेन जीएनएसएस डेडिकेटेड होंगी, ताकि उस लेन में केवल जीएनएसएस वाली गाड़ियां निकलें।
  • नए सिस्टम के लिए सभी गाड़ियों में जीएनएसएस ऑनबोर्ड यूनिट होनी जरूरी है। यह फिलहाल उन्हीं नई गाड़ियों में उपलब्ध है, जिनमें इमरजेंसी हेल्प के लिए पैनिक बटन है। बाकी सभी गाड़ियों में यह सिस्टम लगवाना होगा।
  • फास्टैग की तरह ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) भी सरकारी पोर्टल के जरिये उपलब्ध होंगी। उन्हें वाहनों पर लगाया जाएगा। टोल इससे लिंक बैंक खाते से कट जाएगा।
  • कार/ट्रक में ओबीयू लगवाने का खर्च करीब 4,000 रु. है, जो वाहन मालिक को भुगतना होगा।
  • एक बार जब सभी गाड़ियों में जीएनएसएस यूनिट लग जाएगी और सभी लेन जीएनएसएस के लिए होंगे तो सड़कों से सभी टोल बूथ पूरी तरह से हट जाएंगे।
  • एनएचएआई को सालाना करीब 40,000 करोड़ रु टोल राजस्व मिलता है। नई प्रणाली पूरी तरह लागू होने के बाद इसके बढ़कर 1.4 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।
  • जीएनएसएस को लागू करने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट आमंत्रित किए गए थे। इन आवेदनों के आधार पर अब उन्हें रिक्वेस्ट फॉर टेंडर जारी किए जा रहे हैं।

जीएनएसएस क्या है?

देश में सभी नेशनल हाईवे की जीआईएस (ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम) मैपिंग हो चुकी है। फास्टैग के विपरीत जीएनएसएस सैटेलाइट आधारित तकनीक पर काम करती है। इससे सटीक ट्रैकिंग होती है। यह टोल की गणना के लिए जीपीएस और भारत के जीपीएस एडेड जीईओ ऑगमेंटेड नेविगेशन (जीएजीएएन-गगन) सिस्टम का उपयोग करता है।

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