
यह स्मार्ट जैल खिड़कियों और कांच की सतहों पर कोटिंग के रूप में लगाया जाता है। सर्दियों में तापमान गिरते ही यह अधिक पारदर्शी हो जाता है, जिससे सूर्य की रोशनी और उसकी प्राकृतिक गर्माहट सहज रूप से कमरे में प्रवेश कर पाती है और कमरा बिना किसी अतिरिक्त ऊर्जा के गर्म बना रहता है। गर्मियों में जैसे ही तापमान बढ़ता है, जैल अपनी पारदर्शिता स्वतः कम कर देता है, जिससे बाहरी धूप और गर्मी अंदर नहीं आ पाती। परिणामस्वरूप कमरा स्वाभाविक रूप से ठंडा रहता है और एसी चलाने की आवश्यकता काफी घट जाती है।
ऊर्जा बचत का नया स्मार्ट समाधान
ऊर्जा बचत का यह स्वचालित तरीका न केवल बिजली बिल कम करेगा, बल्कि बड़े स्तर पर ऊर्जा खपत को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसकी खासियत यह है कि कम रोशनी गुजरने देने वाला मोड और ज्यादा रोशनी प्रवेश कराने वाला मोड—दोनों बिना किसी बाहरी ऊर्जा या मशीनरी के अपने-आप सक्रिय होते हैं।
एक ही जैल, दो कमाल
यह जैल स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में भी उपयोगी साबित हुआ है। विज्ञानियों का कहना है कि यह पावर जनरेशनडिवाइस में इलेक्ट्रोलाइट की तरह कार्य करता है और छोटे ऊर्जा उपकरणों में स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता दिखा चुका है। यानी एक ही सामग्री ऊर्जा बचत के साथ ऊर्जा उत्पादन, दोनों काम करती है।
‘कार्बन न्यूट्रल’ लक्ष्य की ओर मजबूत कदम
भवनों से लेकर बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और इलेक्ट्रानिकडिवाइस तक, इस तकनीक का उपयोग भविष्य में बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आविष्कार देश के 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य में निर्णायक योगदान दे सकता है।
विज्ञानियों की टीम व शोध की दिशा
प्रोफेसरडा. संजीब बनर्जी यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इसकानेतृत्व आइआइटीभिलाई के प्रोफेसरडा. संजीबबनर्जी ने किया। उनकी टीम में निशिकांत सिंह, दुर्गेश कुमार सिन्हा, कौशिक महता, दिलीप भोई, तेजरामदेवांगन और काचाला नानाजी शामिल थे। शोधकर्ताओं के अनुसार बढ़ती बिजली जरूरत और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता ने नए समाधान की मांग खड़ी की थी। यह स्मार्ट जैल उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।



