सरकार ने किया नियमों बदलाव
अब वीडियो कॉल के जरिए रेफ किया जा सकेगा. इस बदलाव से सबसे कर्मचारियों के साथ साथ एनपैनल्ड अस्पतालों को काफी लाभ होगा. भारत सरकार की नौकरी कर रहे लाखों कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा. भारत सरकार केंद्रीय सेवा के कर्मचारियों को Central Government Health Scheme (CGHS) के अंतर्गत ‘स्वास्थ्य सुरक्षा’ प्रदान करती है. आज इस योजना को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो बड़े निर्णय लिए है जो लाभार्थी और अस्पतालों दोनों को लाभ देंगें.
CGHS Packages के शुल्क को भी आज रिवाइस किया गया है. योजना से जुड़े स्टेक होल्डर्स की तरफ से सुझाव आये थे की CGHS Package rates जो एक लंबे समय से रिवाइज नहीं हुए है, उनको रिवाइज करना चाहिए. कुछ समय पहले रिपोर्ट आयी थी कि इस कारण से CGHS से जुड़े अस्पताल इस योजना से हटना चाह रहे हैं. 2014 के बाद से रेट में कोई रिवीज़न नहीं हुआ था.इसी को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई स्तरों पर बातचीत के ज़रिए CGHS से जुड़े पैकेज रेट को बढ़ाने का निर्णय लिया है. इससे बड़े स्तर पर अस्पतालों को लाभ मिलेगा.अभी तक कंसलटेशन फीस ओपीडी की 150 रुपये थी जो अब 350 हो गई है.
- आईपीडी कंसलटेशन फीस जो .300 रुपये थी इसे भी 350 रुपये कर दिया गया.
- आईसीयू चार्जेस जो पहले 862 रुपये (NABH + Room rent as per ward entitlement)
5,400/- रुपये ( Rs 862 + Rs 4,500/- for Private ward = 5,362- rounded to Rs 5,400) including accommodation for all ward entitlements कर दिया गया है. - रूम का किराया (Room Rent)
- जनरल वार्ड (General ward Rs) 1000/- से Rs 1,500/- (1.5 गुना)
- सेमी प्राइवेट वार्ड (Semi-Private ward) Rs 2,000/- से Rs. 3,000/- (1.5 गुना)
- प्राइवेट वार्ड (Private ward) Rs.3,000/- से Rs.4,500/- (1.5 गुना)
इस निर्णय से सरकार पर 240 करोड़ से 300 करोड़ रुपये के बीच का अतिरिक्त भार आएगा.
पहले CGHS लाभार्थी को स्वयं CGHS वेलनेस सेंटर पर जाकर अस्पताल के लिए रेफरल लेना पड़ता था.CGHS लाभार्थी अगर जाने में सक्षम नहीं है तो वह अपनी तरफ से किसी को वेलनेस सेंटर भेज कर रेफ़रल ले सकता है.
मेडिकल ऑफिसर द्वारा डॉक्यूमेंट चेक करके वह लाभार्थी को अस्पताल जाने हेतु रेफर कर सकता है.
इसके अलावा CGHS लाभार्थी वीडियो कॉल से भी अब रेफ़रल ले सकता है.