2 वर्ष तक नहीं होंगे महाराष्ट्र में महानगरपालिकाओ के चुनाव ? जाने क्या है कारण

मुंबई/नागपुर/ अकोला – केंद्र सरकार ने 2025 में जनगणना कराने की घोषणा की है इसका मतलब यह जनगणना 2025 से लेकर 2026 तक की जाएगी क्योंकि आने वाले समय में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव साथी महानगरपालिका के चुनाव साथ कराने की योजना केंद्र सरकार ने बनाई है हाल ही में एक देश एक चुनाव की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई थी जिससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि आने वाले समय में देश में केवल एक ही चुनाव होंगे. अब अगर केंद्र सरकार जनगणना कर रही है तो राज्य में जनगणना के बीच में कैसे महानगर पालिकाओ के चुनाव लिए जा सकते हैं इसलिए राजनीतिक विश्लेषकों ने दिव्य हिंदी के प्रतिनिधि से बात करते हुए यह जानकारी दी है कि हो सकता है महानगरपालिकाओं के चुनाव एक या दो वर्ष तक नहीं लिए जा सकते है .

पिछले कई वर्षों से महानगरपालिकाओ में नगर सेवक बनकर जायेंगे इस आस में कई उत्साही समाज सेवको ने तथा माजी नगरसेवको ने लाखों रुपए खर्च कर दिए है, अगर यह चुनाव और 2 साल लंबा होता है तो कही अब भावी नगरसेवक रण संग्राम छोड़ कर अपने-अपने कामों में व्यवसायों में पूर्ण ध्यान देंगे ऐसे संकेत दिखाई दे रहे हैं . जिसका परिणाम अभी चल रहे हैं विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेंगे क्यों की चुनवा होने ही नहीं है तो फिर अभी संघर्ष किस लिए करना….

महाराष्ट्र में 27 नगर निगमों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और कुछ नगर निगमों में चार-चार साल और कुछ नगर निगमों में ढाई साल बाद भी चुनाव नहीं हुए हैं. कोल्हापुर में इचलकरंजी नगर निगम की स्थापना के बाद से अब तक पहला चुनाव नहीं हुआ है। प्रशासन प्रशासक के हाथ में है। जिस तरह इचलकरंजी का प्रशासन प्रशासक के हाथ में है, उसी तरह महाराष्ट्र के सभी 28 नगर निगमों का प्रशासन प्रशासकों के हाथ में है। ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित होने के कारण स्थानीय निकायों के चुनाव रुके हुए हैं। अभी तक यह स्पस्ट नहीं हुआ है की सरकार कब चुनाव कराएंगी

बता दें कि अब तक हर दस साल में होने वाली जनगणना दशक के शुरुआत में होती आई थी जैसे 1991, 2001, 2011. इसी तरह जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण टालनी पड़ी. इसके बाद अब जनगणना का चक्र भी बदलने वाला है. अब 2025 के बाद 2035 और फिर 2045, 2055 में जनगणना होगी.

लोक सभा सीटों का परिसीमन जनगणना पूरी होने के बाद शुरू होगा. परिसीमन प्रक्रिया 2028 तक पूरी होने की संभावना है. दरअसल, कई विपक्षी दलों की तरफ से जातिगत जनगणना की मांग भी की जा रही है, लेकिन सरकार ने अभी इस बारे में फैसला नहीं किया है.

अब तक जनगणना में धर्म और वर्ग पूछा जाता रहा है. साथ ही सामान्य, अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना होती है. लेकिन इस बार लोगों से यह भी पूछा जा सकता है कि वे किस संप्रदाय के अनुयायी हैं. उदाहरण के तौर पर कर्नाटक में सामान्य वर्ग में आने वाले लिंगायत स्वयं को अलग संप्रदाय के मानते हैं. इसी तरह अनुसूचित जाति में वाल्मीकि, रविदासी, जैसे अलग-अलग संप्रदाय हैं. यानी धर्म, वर्ग के साथ संप्रदाय के आधार पर भी जनगणना की मांग पर सरकार विचार कर रही है.

डिजिटल तरीके से जुटाए जाएंगे आंकड़े

देश में पहली बार जनगणना के आंकड़े डिजिटल तरीके से जुटाए और संकलित किए जाएंगे. इसके लिए विशेष पोर्टल तैयार किया गया है. इस पोर्टल में जातिवार जनगणना के आंकड़ों के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक जातिवार जनगणना होने की स्थिति में पहली बार देश में मुसलमानों और अन्य मतों के अनुयायियों की भी जातियां गिनी जाएंगी. सांख्यिकी और विधि मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ जातिवार जनगणना कराने को लेकर फिलहाल औपचारिक फैसला नहीं किया है. लेकिन पूरे आसार हैं कि भविष्य के मद्देनजर अभी जनगणना को बहुआयामी, भविष्योन्मुखी और सर्व समावेशी बनाया जाए. सूत्रों के मुताबिक कोरोना महामारी और फिर लोकसभा चुनाव के कारण अटकी हुई 2021 की जनगणना 2025 में हो सकेगी.

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