भारत का पहला डबल डेकर रेस्टॉरेंट ऑन व्हील, ख़त्म हो रहा डबल डेकर ट्रेन का ज़माना

मुंबई- मुंबई डिवीज़न के आखिरी बचे कुछ डबल डेकर कोचों को बाय-बाय कहने का समय आ गया है। दिसंबर के मध्य से मुंबई-वलसाड पैसेंजर ट्रेन के आखिरी नॉन एसी डबल डेकर कोच का इस्तेमाल धीरे- धीरे ख़त्म हो जाएगा। क्योंकि उन कोचों की कोडल लाइफ ख़त्म हो रही है।

हालांकि, कुछ डबल डेकर डिब्बों की लाइफ अभी भी बची हुई है, जिसमे यात्री सफर कर सकते है। लेकिन कुछ सालों में सभी डबल डेकर डिब्बों को नियमित एलएचबी कोचों में बदल दिया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार, जिस डबल डेकर कोच की कोडल लाइफ ख़त्म हुई है, उसका इस्तेमाल रेस्टोरेंट ऑन व्हील बनाने के लिए किया जाएगा। यह रेस्टोरेंट ऑन व्हील लोअर परेल स्टेशन के बाहर स्थापित किया जाएगा, जहां लोग विभिन्न व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे।

1 डबल डेकर कोच में 200 -250 यात्री

वलसाड फास्ट पैसेंजर ट्रेन के कुल 18 कोचों में से 11 आईसीएफ डबल-डेकर कोच हैं, जिनमें वर्तमान में प्रति कोच 136 यात्रियों की बैठने की क्षमता है। तो वहीं दरवाजों, वॉशरूम और सीटों की बीच में बची जगहों के पास खड़े-खड़े सफर करने वाले यात्रियों की संख्या को मिलाकर, यह आकड़ा 250-260 तक हो जाता है। वहीं अगर एलएचबी कोच की बात करें तो उसमें भी सब मिलाकर करीब 250 लोगों को संयोजित किया जा सकता है।

1976 से डबल डेकर कोच के साथ चल रही वलसाड फ़ास्ट पैसेंजर ट्रेन

रेलवे अधिकारी के मुताबिक़ यात्रियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए 1860 के दौरान पहली डबल डेकर ट्रेन चलाई गई थी। उसके बाद से ही मुंबई सेंट्रल से सूरत के बीच सिंगल डेक की ट्रेन शुरू की गई। लेकिन 1964 में फ्लाइंग रानी (मुंबई से सूरत) के आने के बाद इस ट्रेन (वलसाड फ़ास्ट पैसेंजर ट्रेन) को वलसाड से मुंबई सेंट्रल के बीच चलाया जाना शुरू किया गया, जिसके बाद 1976 में इस ट्रेन में भी डबल डेकर कोच को लगा दिया गया।

वलसाड फास्ट पैसेंजर ट्रेन

आपको बताते चले कि वलसाड फ़ास्ट पैसेंजर ट्रेन एक ऐसी ट्रेन है, जिसमे लोकल ट्रेन का पास इस्तेमाल किया जा सकता है। यही वजह है कि अधिकांश लोग जिन्हे मुंबई सेंट्रल और दादर से विरार जाना होता है, वो इस ट्रेन को प्राथमिकता देते है। ताकि उनका समय बच सकें। पश्चिम रेलवे सीपीआरओ विनीत अभिषेक ने बताया, “मुंबई की आखिरी नॉन-एसी डबल-डेकर ट्रेन के 1 कोच को इस साल दिसंबर तक बंद कर दिया जाएगा, क्योंकि उसकी कोडल लाइफ खत्म हो चुकी है। इस कोच का इस्तेमाल हम रेस्टोरेंट ऑन व्हील्स के लिए करेंगे।”

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