BIG BREAKING- संजय राउत को ED ने ताबे में लिया, जाने क्या है संजय राउत का पत्राचॉल घोटाला?

क्या है मुंबई के गोरेगांव का 1034 करोड़ का पत्रा चॉल जमीन घोटाला? शिवसेना सांसद संजय राउत का इस घोटाले से क्या संबंध है? जानिए इस पूरे मामले के बारे में ए टू जेड.

मुंबई- शिवसेना सांसद संजय राउत के घर रविवार (31 जुलाई) की सुबह प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापा मारा. सुबह सात बजे ईडी की टीम सीआरपीएफ के जवानों के साथ संजय राउत के घर पहुंची. सुबह साढ़े सात बजे से ईडी के दस अधिकारियों ने संजय राउत से पूछताछ शुरू की. इस बीच दिल्ली से भी ईडी अधिकारी मुंबई पहुंच चुके हैं. बार-बार समन दिए जाने के बावजूद पूछताछ के लिए हाजिर ना होने की वजह से ईडी की टीम राउत के घर पहुंची. मुंबई के गोरेगांव में पत्राचॉल घोटाला को लेकर ईडी की यह कार्रवाई हुई है.

संजय राउत हर समन में हाजिर ना होने की कोई ना कोई वजह बता रहे थे. इस बार भी ईडी द्वारा समन भेजे जाने के बाद संजय राउत ने 7 अगस्त तक पूछताछ के लिए हाजिर होने में असमर्थता जताई थी. इसलिए ईडी की टीम आज संजय राउत के घर पहुंची और 9 घंटो की जाच करने के बाद अभी संजय राउत को ed ने ताबे में ले लिया है.

क्या है यह पत्रा चॉल घोटाला जिस वजह से संजय राउत गिरफ्तार हुए ? आइए जानते हैं.

मुंबई में इन्हें कहते हैं पत्रा चॉल

मुंबई में टीन और एजबेस्टस के शीट्स से स्लम के घर बनाए जाते हैं. ऐसे घरों से बनी बस्तियों को पत्रा चॉल के नाम से जाना जाता है. चॉल और पत्राचॉल में फर्क यह है कि चॉल पक्के कमरों की बस्ती होती है, जिनमें सामूहिक शौचालय और स्नानघर होते हैं. लेकिन पत्राचॉल टीन के पत्तरों से बने घर होते हैं. इनमें रहने वाले लोग आर्थिक रूप से बेहद कमज़ोर तबके के होते हैं. समय-समय पर सरकार इनके डेवलपमेंट के लिए योजनाएं लाती हैं. इन योजनाओं के तहत बिल्डर्स इन घरों में रहने वालों के लिए पक्के घर बनाकर महाराष्ट्र गृहनिर्माण और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) जैसी सरकारी संस्थाओं को सौंपते हैं.

बस्तियों में रहने वालों को जब बिल्डिंगें बनाकर घर दे दिए जाते हैं, तो बची हुई जमीनों पर बिल्डिंगें बना कर बिल्डर्स उनके फ्लैट्स और दुकानें बाजार भाव में बेचते हैं. इसी से वे लागत और मुनाफा निकालते हैं. इस तरह की योजनाएं अगर सही तरह से पूरी हों तो गरीबों को घर मिल जाता है, सरकार को फंड जुटाने की समस्या नहीं होती और बिल्डरों को मुंबई में करोड़ों रुपए की वैल्यू वाली खाली ज़मीनें मिल जाती हैं.

यह है मुंबई के गोरेगांव का पत्रा चॉल घोटाला

पत्रा चॉल जमीन घोटाला करीब 1034 करोड़ रुपए का है. मुंबई के गोरेगांव में पत्रा चॉल में म्हाडा की जमीन है. ईडी के आरोपों के मुताबिक प्रवीण राउत की गुरु आशिष कंस्ट्रक्शन कंपनी को इस पत्रा चॉल को डेवलप करने का काम दिया गया था. लेकिन उन्होंने यह जमीन प्राइवेट पार्टियों को बेच दी. प्रवीण राउत पर आरोप है कि उन्होंने पत्रा चॉल में रहने वाले लोगों को ठग लिया और उन्हें घर बना कर नहीं दिया.

शर्तों के मुताबिक प्रवीण राउत की गुरु आशिष कंस्ट्रक्शन कंपनी को पत्रा चॉल में 3 हजार फ्लैंट्स का निर्माण करना था. इनमें से 672 फ्लैट यहां रहने वाले टेनेंट को देने थे और बाकी फ्लैट्स म्हाडा और बिल्डर के बीच बंटने थे. लेकिन 2010 में प्रवीण राउत ने गुरु आशिष कंस्ट्रक्शंस कंपनी के 258 फीसदी शेयर एचडीआईएल (HDIL) को बेच दिए. इसके बाद 2011, 2012 और 2013 में जमीन के कई हिस्सों को प्राइवेट डेवलपर्स और बिल्डर्स को ट्रांसफर कर दिए.

प्रवीण राउत है संजय राउत का करीबी

इस मामले में कार्रवाई करते हुए ईडी ने प्रवीण राउत को 2 फरवरी को अरेस्ट किया था. ईडी के सूत्रों के मुताबिक प्रवीण राउत संजय राउत के करीबी हैं. प्रवीण राउत ने अपनी कंपनी आशिष कंस्ट्रक्शंस के माध्यम से पत्रा चॉल की जमीन को डेवलप करने का म्हाडा के साथ करार किया था. इस चॉल की 47 एकड़ जमीन पर करीब 627 टेनेंट हैं. इन सबके लिए घर बनवा कर म्हाडा को देने की शर्त थी. लेकिन 2010 में हुए इस करार का उल्लंघन करते हुए प्रवीण राउत ने जमीन का सौदा HDIL, DHFF ग्रुप के राकेश वाधवान, सारंग वाधवान और अन्य डायरेक्टर्स से कर लिया.

आरोप के मुताबिक डेवलपममेंट से हासिल होने वाली जमीनों (Floor Space Index- FSI) की इस तरह से हेराफेरी कर के 1034 करोड़ रुपए जमा किए गए. पत्रा चॉल की एक ईंच की जमीन भी डेवलप नहीं की गई, जबकि इस नाम पर बैंक से 15 करोड़ का कर्ज भी लिया गया.

संजय राउत का क्या है घोटाले से संबंध?

इस घोटाले से कमाया हुआ सारा पैसा प्रवीण राउत ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटे. इनमें से 83 लाख रुपए प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी के खाते से संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के खाते में गए. ईडी के मुताबिक इसी रकम से संजय राउत ने मुंबई के दादर में फ्लैट खरीदा. इस मामले में ईडी ने वर्षा राउत को नोटिस भेजा था. इसके बाद वर्षा राउत ने 55 लाख रुपए माधुरी के खाते में ट्रांसफर किए. कहा गया कि दादर का फ्लैट खरीदने के लिए माधुरी से लोन लिया था.

इसके बाद ईडी ने संजय राउत से संबंधित मुंबई से सटे पालघर की जमीन, दादर का फ्लैट (जिसमें संजय राउत रह रहे थे) और अलिबाग के पास किहिम में जमीनों के आठ प्लॉट को सीज कर लिया. इन जमीनों की मिल्कियत भी प्रवीण राउत की है. दादर का फ्लैट वर्षा राउत के नाम पर है. कुछ जमीनें वर्षा राउत और सपना सुजीत पाटकर के नाम पर हैं.

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