इन तीन महीनों में सभी राज्य 2.37 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने बॉन्ड बाजार में जा रहे हैं। इसमें से 44 हजार करोड़ यानी 18.56% कर्ज सिर्फ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना लेंगे। ताजा तिमाही कैलेंडर के अनुसार गुजरात 6 हजार करोड़ ही कर्ज ले रहा है।
गुजरात की तुलना में मध्य प्रदेश 250% ज्यादा कर्ज ले रहा है। मध्य प्रदेश ने अप्रैल से अगस्त तक जो कर्ज लिया है, उससे 172% ज्यादा अगले तीन महीने में उठाने जा रहा है। वहीं, राजस्थान चुनावी वादों के लिए अब तक 1712 करोड़ ज्यादा ले चुका है। वहीं, छत्तीसगढ़ 100% ज्यादा और राजस्थान केवल 14% ज्यादा कर्ज लेने जा रहा है।राजस्थान के अशोक गहलोत ने 1 जून 2023 को यह बयान दिया था।
देश का कर्ज बढ़कर 52.21 लाख करोड़
मार्च 2023 तक केंद्र सरकार पर कर्ज बढ़कर 52.21 लाख करोड़ रुपए हो गया है। जून-2022 तक यह 50.86 लाख करोड़ था। हालांकि, जीडीपी की तुलना में कर्ज 9 माह में 18.8% से घटकर 18.6% हो गया।
राज्य | जीएसडीपी | कर्ज |
राजस्थान | 15.7 करोड़ | 36.8% |
मध्य प्रदेश | 13.87 करोड़ | 30.4% |
तेलंगाना | 14 करोड़ | 23.8% |
छत्तीसगढ़ | 5.07 करोड़ | 23.8% |
महाराष्ट्र की जीएसडीपी 38.79 लाख करोड़ रुपए है और राज्य पर जीएसडीपी के मुकाबले 18.2% कर्ज है।गुजरात की जीएसडीपी 25.62 लाख करोड़ रुपए है और राज्य पर जीएसडीपी के मुकाबले 14.9% कर्ज है।
राज्य सरकारें कर्ज लेकर सुविधाओं पर खर्च कर रहीं
राज्य सरकारें कर्ज लेकर बुनियादी सुविधाओं के विकास में खर्च बढ़ा रही हैं। इससे बाजार में मांग की स्थिति मजबूत हो रही है। रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं। जनता के बैंक खातों में सीधे पैसा डाला जा रहा है। इससे उपभोक्ता सामानों की बिक्री बढ़ रही है।
मध्य प्रदेश: बजटीय अनुमान से अधिक घोषणाएं हो चुकी और लागू भी कर दिया गया है। इन्हें जारी रखने के लिए कर्ज जरूरी है।
छत्तीसगढ़: कर्ज को लेकर पूरे कार्यकाल में अनुशासित रही सरकार ने चुनावी साल में वेलफेयर योजनाओं की झड़ी लगा दी है।
राजस्थान: पंजाब के बाद ये प्रदेश देश में सबसे ज्यादा कर्ज में डूबा है। चुनाव के लिए की गई घोषणाओं का भी दबाव है।
तेलंगाना: पूर्व की घोषणाओं से पहले से वित्तीय भार, नई घोषणाओं में कमी करनी पड़ी। जरूरी खर्च के लिए कर्ज लेना जरूरी हुआ।
राज्य | अक्टूबर-दिसंबर में कर्ज लेंगे | अप्रैल-अगस्त में लिया |
मध्यप्रदेश | 15000 | 5500 |
छत्तीसगढ़ | 3000 | 1500 |
राजस्थान | 14000 | 12288 |
तेलंगाना | 12000 | 16166 |