राज्य भर में बारिश बढ़ेगी, आज से 4 जून तक महाराष्ट्र में बारिश का पूर्वानुमान

मुंबई- पिछले चार दिनों से राज्य में बारिश हो रही है। दक्षिण-पश्चिम मानसून अब कोंकण क्षेत्र के अधिकांश भाग के साथ-साथ मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा को भी कवर कर चुका है। मानसून ने एक सप्ताह तक राज्य भर में अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई और अब इसमें कुछ कमी आई है। भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि अगले चार दिनों तक मुंबई और पुणे में कम बारिश होगी। तालकोणम में सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी जिलों के लिए आज ऑरेंज अलर्ट है और विदर्भ में आज भारी बारिश की संभावना है। आईएमडी ने यह भी कहा कि शेष क्षेत्रों में मध्यम वर्षा होगी। 

मौसम विभाग का पूर्वानुमान क्या है?

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में इस समय कम दबाव का क्षेत्र सक्रिय है और मानसून इस समय छत्तीसगढ़, ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्यों की ओर बढ़ रहा है। अगले तीन दिनों में कोंकण, गोवा, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में अलग-अलग स्थानों पर बिजली गिरने के साथ भारी बारिश की संभावना है। 29 मई से 2 जून तक मध्य महाराष्ट्र और कोंकण एवं गोवा में कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है। लेकिन अधिकांश स्थानों पर बारिश होगी।

राज्य भर में बारिश बढ़ेगी; आज से 4 जून तक महाराष्ट्र में बारिश का पूर्वानुमान क्या है? मौसम विभाग ने कहा..

अगले पांच दिनों तक मौसम कैसा रहेगा?

आज, गुरुवार (29 मई) को रत्नागिरी , सिंधुदुर्ग जिलों के साथ-साथ अमरावती, चंद्रपुर, भंडारा और गोंदिया जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है । मौसम विभाग ने छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड , बुलढाणा, जलगांव, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, वाशिम, अकोला, यवतमाल, रायगढ़, पुणे और सतारा के घाटों में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। अगले चार दिनों में कोंकण, मराठवाड़ा और विदर्भ में कुछ स्थानों पर बारिश की चेतावनी है। हालांकि, दो-तीन जिलों को छोड़कर पूरे महाराष्ट्र में अगले चार दिनों में बारिश की तीव्रता कम हो जाएगी ।

कृषि कार्य बाधित, ग्रीष्मकालीन फसलें भी जलमग्न 

इस बीच, पिछले आठ दिनों से जिले में हो रही व्यापक बारिश के कारण कृषि गतिविधियां पूरी तरह ठप्प हो गई हैं। घाटी में हर जगह पानी भरा होने और बारिश न होने के कारण खेतों में तालाब बन गए हैं। इसलिए रोहिणी नक्षत्र शुरू होने के बावजूद अभी तक बुवाई संभव नहीं हो सकी है। जिले के राधानगरी और भूदरगढ़ तालुका में वर्षा की तीव्रता सबसे अधिक है। दूसरी ओर, ग्रीष्मकालीन फसलें जलमग्न हो गई हैं। इसके कारण मूंगफली, ग्रीष्मकालीन फसलें, सूरजमुखी आदि फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। दूसरी ओर, रोहिणी नक्षत्र में बुवाई के कोई संकेत नहीं मिलने से बुवाई में देरी होने की संभावना है। 

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