इस साल समय से 2 दिन पहले पहुंचेगा मॉनसून, इस तारीख को होगी एंट्री!

नई दिल्ली- मॉनसून को लेकर बड़ी खबर है. इस बार दक्षिण पश्चिम मॉनसून समय से पहले आ रहा है. अभी यह दक्षिण अंडमान सागर में आगे बढ़ गया है. साथ ही दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी और निकोबार द्वीप समूह में भी आगे बढ़ा है. इसी के साथ दक्षिण पश्चिम मॉनसून के 13 मई, 2025 के आसपास दक्षिण अंडमान सागर, दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों और निकोबार द्वीप समूह में आगे बढ़ने की बहुत संभावना है. देश के जमीनी इलाकों में मॉनसून के लिए यह पहला पूर्वानुमान है. इस साल अंडमान निकोबार में मॉनसून के जल्दी पहुंचने की संभावना है. इसके सामान्य से 2 दिन पहले 13 मई को पहुंचने की संभावना है.

आम तौर पर, चार महीने लंबा मॉनसून बंगाल की खाड़ी के सुदूर दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी भागों में आगे बढ़ता है, जो अगले पखवाड़े में श्रीलंका और भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट (केरल) पर पहुंचने से पहले इसका पहला पड़ाव होता है. हालांकि, खाड़ी में जल्दी पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि यह केरल में भी जल्दी ही पहुंच जाएगा.

पश्चिमी जाएगा तभी मॉनसून आएगा

एक विदेशी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ने संदेह जताया है कि पश्चिमी विक्षोभ मई के दूसरे सप्ताह में उत्तर-पश्चिम भारत में सक्रिय रहेगा और बाद में देश के उत्तर में वापस चला जाएगा, जबकि देश का दक्षिणी हिस्सा (शुरुआत में बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्से) दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को रिसीव करने की तैयारी कर रहा है. देश की मुख्य जमीन भारत पर मॉनसून के व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ने के लिए पश्चिमी विक्षोभ का खत्म होना जरूरी है.

मौसम पूर्वानुमान के कुछ मॉडलों ने संकेत दिया है कि अंडमान सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बन सकता है और म्यांमार की ओर बढ़ सकता है. म्यांमार की एक एजेंसी ने इस पूर्वानुमान का समर्थन किया है. मॉनसून आमतौर पर अंडमान सागर से पहले 18 मई के आसपास म्यांमार पहुंचता है. म्यांमार के मौसम एजेंसी ने कहा है कि इस साल यह 16-20 मई के दौरान समय से थोड़ा पहले दक्षिणी म्यांमार पहुंच सकता है. 21-25 मई के दौरान डेल्टा क्षेत्र, 26-31 मई के दौरान मध्य म्यांमार और 1-5 जून के दौरान उत्तरी म्यांमार में आ सकता है.

आईएमडी के पूर्वानुमानों से पता चलता है कि 13 मई से खाड़ी के दक्षिण और पूर्वी भागों में दक्षिण-पश्चिमी हवाएं जोर पकड़ेंगी, लेकिन जरूरी नहीं कि एक ‘निम्न’ दबाव का क्षेत्र बनेगा ही. उत्तर-पश्चिम भारत पर मौजूदा पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव चालू सप्ताह तक सक्रिय रहने की उम्मीद है, जिससे इस अवधि के दौरान मॉनसून की शुरुआत की संभावना कम हो जाएगी.

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