देश के सभी मेडिकल कॉलेजों का होगा मूल्यांकन ,NMC द्वारा मेडिकल कॉलेजों की एक्रिडिएशन और रैंकिंग के लिए जारी किया दिशा-निर्देश

नई दिल्ली–  देश के सभी मेडिकल कॉलेजों का भी NAAC के जैसे मूल्यांकन किया जाएगा। इसके बाद सभी की रैंकिंग तय होगी। इस बारे में नेशनल मेडिकल कमीशन और क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मेडिकल कॉलेजों की एक्रिडिएशन और रैंकिंग के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है। एनएमसी ने क्यूसीआई के साथ एक एएमयू किया है। इसके तहत मेडिकल कॉलेजों में बेहतर क्वालिटी की जिम्मेदारी क्यूसीआई को सौंपी गई है। इसके बाद क्यूसीआई ने मेडिकल इवैल्यूएशन व रेटिंग बोर्ड (एमईआरबी) के साथ करार किया है। इस करार के जरिए मेडिकल कॉलेजों में एजुकेशन की क्वालिटी को बेहतर करने पर काम किया जाएगा।

मसौदे में इतने मापदंड

नए मसौदे में 11 क्राइटेरिया तैयार किए गए हैं। इसे 92 खंडों में बांटा गया है, इसी के आधार पर मेडिकल कॉलेज को रैंकिंग मिलेगी। इसमें करिकुलम के 7%, प्रैक्टिकल व हैंड ओन व क्लिनिकल एक्सपीरियंस के 16%, एकेडमिक एनवायरनमेंट, फिजिकल, साइकोलॉजिकल और ऑक्यूपेशनल के 10%, ह्यूमन रिसोर्स व टीचिंग लर्निंग प्रोसेस के 16%, छात्रों के एडमिशन के 13%, असेस्मेंट पॉलिसी के 2%, रिसर्च आउटपुट के 10%, कम्यूनिटी आउटरीच प्रोग्राम के 5%, क्वालिटी एश्योरेंस सिस्टम के 3%, फीडबैक व स्टेकहोल्डर्स के 8% नंबर दिए जाएंगे।

कॉलेज 3 मुद्दों पर करेंगे फोकस

नए नियम के अनुसार, कॉलेज आपस में बेस्ट प्रैक्टिस, इनोवेटिव टीचिंग के तौर-तरीके और रिसर्च पर फोकस करेंगे। इसकी जानकारी वे दूसरे मेडिकल कॉलेज से भी शेयर करेंगे। अगर किसी कॉलेज ने गलत डाक्यूमेंट के जरिए गुमराह करने की कोशिश की तो एआई से लैस सिस्टम के जरिए पता चल जाएगा, जिसका खामियाजा बाद में संबंधित मेडिकल कॉलेज को उठाना पड़ेगा।

ग्रामीण परिवारों का रखना होगा ध्यान 

इस मसौदे के अनुसार, हर मेडिकल कॉलेज को अपने स्टूडेंट के जरिए आसपास के परिवारों को गोद लेना होगा। सभी को 3 साल तक इन परिवारों की सेवा करनी पड़ेगी। इस टाइम पीरिएड में एनीमिया से लेकर किडनी, हार्ट और टीबी जैसी बीमारियों का नि:शुल्क इलाज करना होगा। क्यूसीआई के मसौदे में मेडिकल एजुकेशन और हेल्थ सर्विस के अलावा रूरल हेल्थ भी शामिल किया गया है।

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