DGP कार्यालय की बड़ी किरकिरी, ओपन कैटेगरी के अफसरों को राहत
मुंबई। पुलिस विभाग में पदोन्नति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पुलिस महानिदेशक (DGP) कार्यालय ने 21 अगस्त को 364 सहायक पुलिस निरीक्षकों को पुलिस निरीक्षक पद पर पदोन्नत करने का आदेश जारी किया था। लेकिन मात्र 24 घंटे के भीतर ही यह आदेश रद्द करना पड़ा।
पृष्ठभूमि
2004 में राज्य सरकार ने 52% आरक्षण लागू किया था, जिसमें पदोन्नति में 33% आरक्षण का प्रावधान रखा गया था। इस पर विजय घोगरे नामक अधिकारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
2017 में हाईकोर्ट ने साफ़ कहा कि पदोन्नति में आरक्षण लागू नहीं हो सकता। सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अब तक उस पर स्थगन आदेश (Stay) नहीं मिला है।
7 मई 2021 से महाराष्ट्र में मेधावी (Merit-based) पदोन्नति नीति लागू की गई। इसके बावजूद 29 जुलाई 2025 को सरकार ने नया आदेश निकालकर आरक्षण के आधार पर पदोन्नति का रास्ता खोला।
विवाद और आदेश रद्द
-
21 अगस्त को DGP कार्यालय ने 364 अफसरों की पदोन्नति की घोषणा कर दी।
-
इस पर ओपन कैटेगरी के कई अफसरों ने ‘महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण’ (मैट) का दरवाज़ा खटखटाया।
-
सुनवाई के दौरान मैट ने सरकार को निर्देश दिया कि हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन न हो।
-
सामान्य प्रशासन विभाग ने भी तत्काल आदेश जारी कर पदोन्नति रद्द करने को कहा।
ताज़ा स्थिति
विशेष पुलिस महानिरीक्षक (आस्थापना) सुप्रिया पाटिल-यादव ने आदेश दिया कि –
-
पदोन्नत किए गए अफसरों को कार्यमुक्त न किया जाए।
-
यदि कार्यमुक्त किया गया है तो उन्हें उनके मूल विभाग में वापस भेजा जाए।
असर
इस निर्णय से ओपन कैटेगरी के लगभग 500 पुलिस अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है, जबकि DGP कार्यालय पर जल्दबाज़ी में लिए गए फैसले को लेकर सवाल उठने लगे हैं।