मुंबई- भारत में भी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) ने दस्तक दे दी है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के कर्नाटक में HMPV के 2 मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, एचएमपीवी का संक्रमण पहले से ही भारत सहित कई देशों में फैल रहा है और विभिन्न देशों में इससे संबंधित श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आए हैं। इसे देखते हुए महाराष्ट्र सरकार भी पूरी तरह से अलर्ट है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एचएमपीवी को लेकर लोगों के लिए सलाह जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि लोगों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
एचएमपीवी से बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं…
1. छींकते या खांसते समय रुमाल और कपड़े का इस्तेमाल करें।
2. अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का उपयोग शुरू कर दें।
3. खांसी और सर्दी से प्रभावित लोग सार्वजनिक जगहों से दूर रहें।
4. आपको इन दिनों दूसरों से हाथ मिलाना बंद करना होगा।
5. एक ही टिश्यू पेपर या रुमाल का बार-बार प्रयोग न करें।
6. सार्वजनिक स्थानों पर थूकना बंद करना होगा।
7. किसी तरह का संक्रमण होने पर खुद से दवा शुरू न करें।
एचएमपीवी के कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण
एचएमपीवी से संक्रमण के लक्षण भी कोरोना वायरस जैसे ही है। हालांकि, एचएमपीवी के लक्षण गंभीरता को लेकर कुछ अलग हो सकते हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि इससे संक्रमित खांसी, बुखार, नाक बहना या बंद होना और गले में खराश की शिकायत करते हैं। कुछ लोगों को घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ (डिस्पेनिया) भी हो सकती है। कुछ मामलों में यह भी सामने आया है कि संक्रमण के हिस्से के रूप में दाने निकल आते हैं।
कर्नाटक में कैसे सामने आए HMPV के 2 मामले
कर्नाटक वाले मामलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 3 महीने की बच्ची को ब्रोंकोन्यूमोनिया की शिकायत थी। उसे बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसके एचएमपीवी से संक्रमित होने का पता चला था। उसे पहले ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। ब्रोन्कोन्यूमोनिया से पीड़ित 8 महीने के एक शिशु को तीन जनवरी को बैपटिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद जांच में उसके एचएमपीवी से संक्रमित होने का पता चला। बताया जाता है कि शिशु के स्वास्थ्य में अब सुधार है।
यह ध्यान रखना अहम है कि दोनों मरीजों का कोई अंतरराष्ट्रीय यात्रा का इतिहास नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि वह सभी उपलब्ध निगरानी माध्यमों के जरिए स्थिति की निगरानी कर रहा है और आईसीएमआर पूरे साल एचएमपीवी संक्रमण के रुझानों पर नजर रखेगा।