जमीन उपयोग से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला, NA परमिशन की ‘यह’ शर्त रद्द

नागपुर- राज्य में भूमि राजस्व प्रक्रिया में सरलता लाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अकृषिक (गैर-कृषि) परवानगी की अनिवार्यता समाप्त करने के बाद अब ‘सनद’ लेने की शर्त भी रद्द कर दी गई है। इस संदर्भ में “महाराष्ट्र जमीन महसूल संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक 2025” को राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे ने विधानसभा में पेश किया।जमीन के उपयोग के लिए अब ‘सनद’ की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बजाय, नीचे दिए गए अनुसार रेडी रेकनर (बाजार मूल्य) के आधार पर प्रीमियम भरकर जमीन का उपयोग नियमित किया जा सकेगा।

नए प्रीमियम दर (रेडी रेकनर के अनुसार)

  • 1000 वर्गमीटर तक: रेडी रेकनर मूल्य का 0.1%
  • 1001 से 4000 वर्गमीटर तक: रेडी रेकनर मूल्य का 0.25%
  • 4001 वर्गमीटर से अधिक प्लॉट: रेडी रेकनर मूल्य का 0.5%

इन बदलावों से स्थानीय स्वराज संस्थाओं को मिलने वाले कर या शुल्क में कोई कटौती नहीं होगी और उन्हें उनका हिस्सा मिलता रहेगा, यह सरकार ने स्पष्ट किया है।

विपक्ष की ओर से स्वागत

इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने भी इस निर्णय का स्वागत किया। अकृषिक कर की अनिवार्यता हटाने और ‘सनद’ की प्रक्रिया आसान करने के लिए उन्होंने संतोष व्यक्त किया। विधायक विक्रम काले, प्रवीण दटके, योगेश सागर, रमेश बोरनारे, जयंत पाटील ने विधेयक का स्वागत करते हुए राजस्व मंत्री बावनकुळे को बधाई दी।

कांग्रेस के विधायक नाना पटोले ने इस दौरान कृषि भूमि बचाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा “शहरीकरण के कारण कृषक भूमि लगातार कम हो रही है, और दूसरी ओर बाढ़ से नदी किनारे की जमीन कट रही है। इसलिए कृषि भूमि को बचाए रखना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण काम है।”

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