मुंबई- महाराष्ट्र सरकार ने 2011 से पहले किए गए सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को वैध करने का फैसला लिया है. सिंधी शरणार्थियों को मालिकाना हक मिलेगा और नदी से रेत खनन रोकने के लिए M-Sand नीति लागू की गई है. साथ ही, बांग्लादेशियों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र 15 अगस्त तक रद्द किए जाएंगे.महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को घोषणा की कि महाराष्ट्र सरकार अब 2011 से पहले किए गए अतिक्रमण को नियमित कर उन्हें मालिकाना हक देगी. यह नीति राज्य सरकार की जमीनों जैसे कलेक्टर लैंड, चराई की जमीन, जिला परिषद की जमीन पर लागू होगी.
बावनकुले के मुताबिक, राज्य में ऐसे लगभग 30 लाख अतिक्रमण हैं जिन्हें अब बेघर नहीं किया जाएगा. उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत मकान दिए जाएंगे. यदि किसी का अतिक्रमण 500 वर्गफुट तक है, तो उसे बिलकुल मुफ्त में नियमित किया जाएगा. लेकिन अगर जमीन इससे बड़ी है, तो उसे रेडी रेकनर रेट के अनुसार खरीदना होगा.सरकार ने 2018 में 1 जनवरी 2011 तक के अतिक्रमण को संरक्षण देने का ऐलान किया था, इसलिए यही तारीख इस नीति के लिए कट-ऑफ रखी गई है.
आर्टिफिशयल सैंड (M-Sand) नीति
राज्य सरकार ने नदी से रेत खनन को पूरी तरह से रोकने के लिए आर्टिफिशियल सैंड नीति के तहत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को अंति रूप दे दिया है.राजस्व विभाग द्वारा जारी सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, सार्वजनिक और निजी जमीनों पर M-Sand यूनिट्स के लिए उपयुक्त जमीन की जानकारी ‘महाखनिज’ पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी और इनका ऑक्शन होगा.कोई भी M-Sand यूनिट लगाने के लिए एक पंजीकृत अंडरटेकिंग आवश्यक होगी. नीति की सफलता के लिए जिला स्तर पर वर्कशॉप, कैंप, वेबिनार आदि आयोजित किए जाएंगे और व्यापक प्रचार किया जाएगा
सिंधी शरणार्थियों को मालिकाना हक
महाराष्ट्र सरकार ने सिंधी शरणार्थियों के लिए एक विशेष एमनेस्टी स्कीम को मंजूरी दी है. यह स्कीम 30 अधिसूचित क्षेत्रों में लागू होगी जहां सिंधी परिवार बसे हुए हैं (सिर्फ उल्हासनगर को छोड़कर). इससे करीब 5 लाख लोग लाभान्वित होंगे.रिहायशी जमीन (1,500 वर्गफुट तक) के लिए सरकार 1989 के रेडी रेकनर रेट का 5% प्रीमियम लेगी. व्यावसायिक जमीन के लिए यह दर 10% होगी. अगर एरिया 1,500 वर्गफुट से अधिक है, तो प्रीमियम दोगुना लगेगा.
फर्जी बांग्लादेशी जन्म प्रमाण पत्र होंगे रद्द
राजस्व मंत्री ने यह भी ऐलान किया कि महाराष्ट्र में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा बनाए गए फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट्स की जांच की जाएगी. 15 अगस्त तक कलेक्टर्स द्वारा यह प्रमाण पत्र रद्द कर दिए जाएंगे. अभी तक ऐसे 45,000 से अधिक फर्जी प्रमाण पत्र सामने आ चुके हैं और यह संख्या आगे और बढ़ सकती है.