देश की सबसे अमीर महापालिका बीएमसी में 3 साल बाद होंगे चुनाव

 

मुंबई – महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम सत्ताधारी दलों के पक्ष में आया है। अब सत्ताधारी दलों की नजरें सरकार बनाने के बाद महानगर पालिकाओं के चुनाव पर टिकी हुई हैं। देश की सबसे समृद्ध मुंबई महानगर पालिका सहित राज्य की अन्य नगर पालिका चुनावों में भी सत्ता पाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। लगभग 60 हजार करोड़ रुपये बजट वाली मुंबई महानगर पालिका का चुनाव लगभग तीन साल से नहीं हुआ है। 8 फरवरी 2022 से बीएमसी को प्रशासक चला रहे हैं। पहले तत्कालीन बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल और उनके बाद मौजूदा कमिश्नर भूषण गगरानी प्रशासक के रूप में काम कर रहे हैं।

महायुति को जीत का भरोसा

विधानसभा चुनाव में मिली सफलता से उत्साहित महायुति (बीजेपी, शिंदे शिवसेना और अजित गुट) को पूरा भरोसा है कि बीएमसी चुनाव में उन्हीं की सत्ता आएगी। मुंबई बीजेपी उपाध्यक्ष रवि राजा ने कहा कि पहले बीएमसी चुनाव में 150 का नारा था, जो विधानसभा के बाद बढ़कर 175 हो गया है। वहीं, विपक्षी महाविकास आघाडी (शिवसेना, कांग्रेस, शरद पवार गुट) के नेताओं का कहना है कि कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव की तरह बीएमसी चुनाव में भी मुंबई की जनता बीजेपी और शिंदे शिवसेना को जोरदार झटका देगी।

महायुति का पलड़ा भारी

मुंबई की 36 विधानसभा सीटों पर जिस तरह से महायुति का दबदबा रहा है, उसे देखते हुए मुंबई महानगर पालिका का चुनाव भी जल्द कराए जाने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, करीब ढाई दशक तक बीएमसी में सत्तासीन रही शिवसेना (अविभाजित) के लिए इस बार बीएमसी चुनाव की राह काफी मुश्किल हो गई है। विधानसभा चुनाव में मुंबई की 36 सीटों में से बीजेपी को 15, शिंदे शिवसेना को 6 और एनसीपी (अजित पवार) को 1 सीट पर जीत मिली है। वहीं, उद्धव गुट की शिवसेना को 10, कांग्रेस को 3 और सपा को 1 सीट पर जीत मिली है।

उद्धव के सामने भारी चुनौती

वर्ष 2022 में शिवसेना में बगावत और विभाजन के बाद उद्धव गुट की पकड़ मुंबई में कमजोर हुई है। वर्ष 2017 के बीएमसी चुनाव में शिवसेना ने 84 सीटें जीतीं थीं और निर्दलीयों के समर्थन से बीएमसी की सत्ता को अपने पास बरकरार रखने में सफल रही थी। मुंबई में विधायकों की संख्या घटने से उद्धव की पकड़ कमजोर हुई है। वहीं, उद्धव गुट के 60 से अधिक पूर्व नगरसेवक शिंदे के साथ जा चुके हैं। अब उद्धव के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीएमसी की सत्ता में वापसी है। लेकिन, जिस तरह से महाविकास आघाडी के दलों के विधायकों की संख्या मुंबई में कम हुई है, उससे बीएमसी की राह काफी मुश्किल दिखाई दे रही है।

बीएमसी चुनाव की राह में अड़चन

बीएमसी का चुनाव वर्ष 2022 में ही हो जाना चाहिए था, लेकिन तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार ने परिसीमन करते हुए प्रभागों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 कर दिया था। शिंदे की सरकार बनने के बाद एक बार फिर मुंबई में प्रभागों की संख्या घटाकर 227 कर दी गई है। ओबीसी कोटे और प्रभागों की संख्या को लेकर अब यह मामला कोर्ट में है। कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद ही मुंबई बीएमसी के चुनाव का रास्ता साफ़ हो जाएगा।

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