
स्कूली शिक्षा मंत्री ने बताया कि मराठी का जो सिलेबस केंद्रीय बोर्डों ने बनाया है, वही स्तरीय है। उसको बदलने या आसान करने की सलाह केंद्रीय बोर्डों को राज्य का शिक्षा विभाग नहीं दे सकता है। इसलिए आज जो स्टूडेंट सातवीं, आठवीं या नवीं क्लास में पहली बार मराठी पढ़ रहे हैं, उनको राहत देने के लिए अगले दो-तीन वर्षों तक मार्क की जगह ग्रेड देने का इरादा है।




