महाराष्ट्र में 27% ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे निकाय चुनाव, SC ने सुनाया बड़ा फैसला; महायुति सरकार को मिली बड़ी राहत

नई दिल्ली/नागपुर: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं और मनपा के चुनावों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने सोमवार को चुनावों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण और नई प्रभाग रचना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। इसी के साथ राज्य में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव का रास्ता साफ़ हो गया है।
ज्ञात हो कि, नई प्रभाग रचना और ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिसमें चुनाव आयोग की कार्रवाई को रोक लगाने और 2022 के अनुसार, चुनाव कराने की मांग की गई थी। सोमवार को हुई सुनवाई में अदालत ने तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि 6 मई 2024 के आदेश के अनुसार स्थानीय निकाय चुनावों में 27% ओबीसी आरक्षण लागू रहेगा। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 11 मार्च 2022 की पुरानी वार्ड रचना के आधार पर चुनाव नहीं होंगे, बल्कि नई प्रभागरचना के अनुसार ही चुनाव कराए जाएंगे
अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को 4 सप्ताह के भीतर चुनाव अधिसूचना जारी करने और 4 महीनों के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। इस निर्णय से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है, वहीं ओबीसी समाज में भी इसे लेकर भारी उत्साह है। अब राज्य के 29 नगर निगम, 290 नगर परिषदें, 32 जिला परिषदें और 335 पंचायत समितियों में चुनाव की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ेगी। माना जा रहा है कि निकाय चुनावों की घोषणा जल्द ही हो सकती है, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल देखने को मिलेगी।

तीन साल से बिना जनप्रतिनिधियों के चल रही हैं नगरपालिकाएं

सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में राज्य को 4 महीने में चुनाव कराने का निर्देश दिया था। अब जबकि कोर्ट ने वार्ड संरचना और ओबीसी आरक्षण दोनों को मंजूरी दे दी है, तो चुनावी प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने जा रही है। यह फैसला उन सभी शहरों के लिए राहत की खबर है, जो तीन साल से निर्वाचित प्रतिनिधियों के बिना चल रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से महाराष्ट्र में लोकतंत्र की बहाली का रास्ता खुल गया है। नागपुर समेत राज्य भर की जनता को अब जल्द ही अपने जनप्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिलेगा।

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