नई दिल्ली- नए आयकर कानून में वे लोग भी टीडीएस रिफंड का दावा कर सकेंगे, जो समय पर आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल नहीं कर पाए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में संशोधित आयकर विधेयक पेश किया, जिसे हंगामे के बीच बिना बहस के पारित किया गया। इस विधेयक में पुराने कानून की तुलना में शब्द और धाराएं लगभग आधी कर दी गई हैं, जिससे इसे समझना आसान हो जाएगा।
अब ‘आकलन वर्ष (असेसमेंट इयर)’ और ‘पिछले वर्ष (प्रीवियस इयर)’ जैसे शब्दों की जगह ‘टैक्स इयर’ का उपयोग किया गया है।गौरतलब है कि इससे पहले 9 अगस्त (शुक्रवार) को वित्त मंत्री ने मूल आयकर विधेयक को वापस ले लिया था। सेलेक्ट कमेटी की सभी सिफारिशें शामिल करने के बाद इसे दोबारा पेश किया गया। कमेटी ने सुझाव दिया था कि वह प्रावधान बदला जाए, जिसमें कहा गया था कि सिर्फनियत तिथि तक रिटर्न दाखिल करने वाले ही रिफंड के पात्र होंगे। अब नए प्रावधान के तहत, विलंब से रिटर्न दाखिल करने वाले करदाता भी रिफंड के पात्र होंगे। इससे विशेष रूप से एमएसएमई सेक्टर को राहत मिलने की उम्मीद है।
इसके अलावा, पास हुए विधेयक में यह भी प्रावधान है कि आरबीआई की लिब्रेटेड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत शिक्षा के लिए विदेश भेजी जाने वाली राशि पर अब कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा। विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर संदी झुनझुनवाला ने कहा कि रियायती टैक्स दर चुनने वाली कंपनियों के लिए कुछ इंटर कॉरपोरेट डिविडेंड पर कटौती के नियम पुराने कानून जैसे ही हैं। नुकसान को आगे ले जाने और समायोजन से जुड़े नियमों को भी संशोधित किया गया है। धारा 79 के अनुरूप लाभकारी मालिक (बेनिफिशियल ओनर) के संदर्भ को हटा दिया गया है।