
उन्होंने महिलाओं की पहल और सक्रियता की सराहना करते हुए कहा कि लाडली बहन योजना के तहत मिलने वाले प्रति माह 1,500 रुपये का सही उपयोग हो, इसी उद्देश्य से महिलाओं ने यह संस्था शुरू की है। शुरुआती चरण में ही 7,500 से अधिक महिलाएँ सदस्य बनीं और 21 लाख रुपये की राशि जमा हुई है। भविष्य में सदस्यों और निधि दोनों में बड़ी वृद्धि होने की संभावना जताई गई।
महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का नया अध्याय
जिलाधिकारी येरेकर ने कहा कि यह महिला पतसंस्था महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का नया अध्याय शुरू करेगी। महिलाओं का आर्थिक नियोजन सदैव सुदृढ़ होता है, इसलिए संस्था में जमा निधि सुरक्षित रहेगी, आर्थिक अनुशासन बढ़ेगा और जरूरतमंद महिलाओं को तुरंत कर्ज उपलब्ध कराया जा सकेगा। कार्यक्रम में माविम के जिला समन्वय अधिकारी डॉ. रंजन वानखेडे, उपनिबंधक कार्यालय के सहायक संचालक अनिरुद्ध राऊत, पतसंस्था की अध्यक्ष रजनी भोंडे, उपाध्यक्ष रेशमा सरदार, कोषाध्यक्ष विद्या धिकार, सचिव ज्योत्स्ना चांगोले सहित सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।
महिलाओं को कर्ज और योजनाओं का लाभ
जिलाधिकारी ने बताया कि महिलाओं की उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए जिला नियोजन समिति की ओर से 600 बचत समूहों को प्रति समूह 1 लाख रुपये, कुल 6 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी। साथ ही जिले में पहली प्राथमिक सहकारी सेवा संस्था स्थापित की जाएगी, जिसमें भी महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री रोजगार निर्माण कार्यक्रम के माध्यम से इच्छुक महिलाओं को कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा।
बचत समूहों को सहायता
- सहायता प्राप्त समूह: 600
- प्रति समूह सहायता: 1 लाख रुपये
- कुल सहायता राशि: 6 करोड़ रुपये
- लाडली बहन योजना लाभ
- आर्थिक सहायता: 1,500 रुपये प्रति माह
- पतसंस्था सदस्य संख्या
- जुड़ी महिलाएँ: 7,500 से अधिक



