हवाई जहाज में क्यों लगी होती हैं इतनी सारी लाइट्स? क्या है मतलब? जानिए इससे जुड़े फैक्ट्स

 

अधिकतर रात के वक्त ही आपको प्लेन (Aeroplane) की लाइट्स (Aeroplane lights) बेहतर तरीके से नजर आती होंगी. मगर क्या आपने कभी सोचा है कि प्लेन पर इतनी सारी लाइट्स का क्या काम है. आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं. ये सभी लाइट्स किसी भी प्लेन के लिए बेहद जरूरी होती हैं.

 

अगर आपने कभी प्लेन में सफर किया होगा या कभी आसमान में हवाई जहाज उड़ते हुए भी देखा होगा तो आपने एक चीज जरूर गौर किया होगा, वो है प्लेन पर लगी ढेर साली लाइटें. आसमान में प्लेन इतनी ऊंचाई पर उड़ता है कि अंधेरे में बिना लाइटें के आप नहीं बता सकते कि कोई प्लेन उड़ रहा है. प्लेन की पहचान उनपर लगी लाइटों से ही होती है.

लोगो लाइट

अधिकतर रात के वक्त ही आपको प्लेन की लाइट्स बेहतर तरीके से नजर आती होंगी. मगर क्या आपने कभी सोचा है कि प्लेन पर इतनी सारी लाइट्स का क्या काम है. आज हम आपको बताते हैं.लोगो लाइट्स प्लेन के पिछले भाग में सीधे खड़े पंख या फिन पर लगी होती हैं. इनका काम सिर्फ इतना होता है कि ये प्लेन की कंपनी का नाम बता सके जो उस फिन पर लिखा होता है. ये लाइट लगाना कानूनी रूप से प्लेन के लिए के लिए आवश्यक नहीं है मगर ये लाइट प्लेन की मार्केटिंग करने के लिए आवश्यक होती है. इस लाइट से प्लेन अधिक नजर आता है. इस लाइट से हवा में या जमीन पर हवाई जहाज की बेहतर रूपरेखा नजर आती है.

विंग्स इंस्पेक्शन लाइट

विंग यानी प्लेन का पंख. विंग्स के इंस्पेक्शन के लिए जिन लाइटों का इस्तेमाल होता है उन्हें विंग इंस्पेक्शन लाइट कहते हैं. ये लाइट विंग पर लगी होती है जिससे विंग की जांच करना आसान हो जाता है. एयरलाईन का ग्राउंड क्रू और मेंटेनेंस स्टाफ को इस लाइट से विंग पर किसी भी समस्या का पता चल जाता है.

रोटेटिंग लाइट्स

इन लाइट्स का निर्माण इस तरह किया जाता है कि ये प्लेन को हवा में भिड़ंत से बचा लें. ये लाइट्स प्लेन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, खासकर एयरपोर्ट के पास जहां कई कई विमान आसमान में एक ही वक्त पर उड़ते रहते हैं. ये लाइट प्लेन के ऊपर और नीचे लगी रहती हैं. इन लाइट्स को रोटेटिंग लाइट्स या रोटेटिंग बेकन भी कहते हैं. जैसे ही पायलेट प्लेन का इंजन चालू करता है वैसे ही उसे ये लाइट जलाना आवश्यक होता है जिससे कि ग्राउंड क्रू को पता चल जाए कि प्लेन स्टार्ट हो चुका है. उसी प्रकार जब मेंटेनेंस या ग्राउंड क्रू प्लेन में कुछ जरूरी काम कर रहा हो तब भी इस लाइट को जला लिया जाता है. इस लाइट को तभी बंद किया जाता है जब प्लेन पार्क कर दिया गया हो और उसका इंजन बंद हो.

 

इस लाइट का काम भी लाल एंटी कोलिजन लाइट की तरह ही होता है. मगर ये विंग के बिलकुल छोर पर लगी होती हैं या प्लेन के सबसे पीछे इनको प्लेस किया जाता है. ये लाइट इतनी तेज होती हैं कि दूर से ही हवा में इन्हें देखा जा सकता है. इन लाइट को सिर्फ हवा में ही चालू किया जाता है. जब प्लेन लैंड कर जाता है और अपने स्थान पर लग रहा होता है तब इसे बुझा देते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ये लाइट इतनी तेज होती है कि इसकी रोशनी से ग्राउंड क्रू की आंखें चमक सकती हैं और वो प्लेन को पार्क करवाने का अपना काम ठीक से कराने में असमर्थ हो सकते हैं.

पोजीशन लाइट

पोजीशन लाइट भी कोलिजन लाइट की ही तरह होती हैं और इनको भी प्लेन के विंग के टिप पर लगाया जाता है मगर इनका रंग लाल और हरा होता है. लाल रंग की लाइट लेफ्ट विंग पर होती है और हरे रंग की लाइट राइट विंग पर होती है. प्लेन के पीछे के हिस्से पर सफेद लाइट होती है. इन लाइटों को सबसे पहले शिप में इस्तेमाल किया जाता है. इन लाइट से पायलेट, टावर, ग्राउंड कंट्रोलर, ग्राउंड सपोर्ट, को प्लेन की पोजीशन और डायरेक्शन के बारे में पता चलता है. जब हवा में दूसरे प्लेन के पायलेट को दूर से सफेद लाइट नजर आती है तो वो समझ जाता है कि दूसरा प्लेन उनकी ही दिशा में जा रहा है. जब प्लेन को पायलेट को सामने हरी और लाल लाइट नजर आती है तो वो समझ जाते हैं कि कोई प्लेन उनकी ही तरफ आ रहा है

ये प्लेन पर नई तरह के लाइटिंग सिस्टम की लाइट्स हैं जो प्लेन को अधिक नजर आने के लिए बनाई गई हैं. इस सिस्टम के तहत प्लेन के पंख के बगल और निचले भाग के पास दोनों तरफ दो लाइटें लगी रहती हैं जो एक के बाद एक यानी अल्टरनेट ढंग से जलती और बुझती हैं. जब प्लेन लैंड होता है तब करीब 200 फीट की ऊंचाई से इसे जला दिया जाता है जिससे दूसरे प्लेन, चिड़िया, या जमीन से टकराव को रोका जा सकता है.

लाइट लैंडिंग

किसी भी प्लेन में सबसे तेज जलने वाली लाइट लैंडिंग लाइट होती है. ये प्लेन के निचले हिस्से और पंख के निचले हिस्से में लगी होती है. इनकी बीम बिल्कुल एक दिशा में होती है जिससे जब प्लेन उड़ान भरता है या लैंड करता है तो रनवे को रोशन कर देता है. इन लाइट में 600 वॉट पावर के कई बल्ब लगे होते हैं इसलिए ये इतनी तेज रोशनी पैदा करती हैं. अगर प्लेन के खड़े रहने के दौरान इन लाइट्स को जलाना पड़ता है तो ये सुनिश्चित किया जाता है कि कामने कोई भी ग्राउंड क्रू का व्यक्ति ना मौजूद हो क्योंकि ये इतनी तेज रोशनी होती है कि व्यक्ति अंधा हो सकता है.

ये लाइट भी प्लेन के सामने की टिप के निचे लगी होती हैं. इनका काम तब आता है जब प्लेन रनवे छोड़कर पार्क किया जाता है तो इससे आगे का रास्ता दिखाई देता है. जैसा की ऊपर दिखाया बताया गया है कि लैंडिंग लाइट्स इतनी तेज होती हैं कि उसे टेकऑफ या लैंडिंग के वक्त ही इस्तेमाल किया जाता है. प्लेन के लैंड कर देने के बाद इन लाइट्स को बुझा दिया जाता है. तब रनवे टर्नऑफ लाइट्स ही काम आती हैं.

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