जाने करवा चौथ पूजा मुहूर्त और चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि,पूजन सामुग्री

करवा चौथ पूजन– इस साल करवा चौथ 1 नवंबर को है. उस​ दिन बुधवार और वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी व्रत भी है. बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए है और करवा चौथ व्रत में भी गणेश जी के साथ माता गौरी की पूजा करते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, करवा चौथ व्रत कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है. व्रत रखने वाली महिलाएं करवा चौथ की रात चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और उसकी पूजा करती हैं. उसके बाद ही पारण करके व्रत को पूरा किया जाता है. इस व्रत में चंद्रमा का महत्व है, इसलिए करवा चौथ पर चांद के निकलने का इंतजार रहता है.करवा चौथ पूजा मुहूर्त और चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि क्या है?

करवा चौथ 2023 पूजा मुहूर्त क्या है?

करवा चौथ को शाम के समय में गणेश, गौरी और शिव पूजा करते हैं. उस दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में पूजा होती है. इस साल करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 54 मिनट तक है. इस बार करवा चौथ की पूजा के लिए 1 घंटा 18 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा.

करवा चौथ पर कब निकलेगा चांद?

पूजा के बाद रात में चांद के निकलने की प्रतीक्षा रहेगी. करवा चौथ पर चांद रात 08 बजकर 15 मिनट पर निकलेगा. यह देश की राजधानी दिल्ली में करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय है. इस समय पर महिलाएं चंद्रमा की पूजा करेंगी और अर्घ्य देंगी. उसके बाद पारण करेंगी.

करवा चौथ व्रत की पूजा सामग्री

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ की पूजा पूरे विधि विधान से करना चाहिए. इस व्रत में पूजा सामग्री का विशेष महत्व है. पूजा के समय थाली में मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन, पान, कलश, चंदन, फूल, हल्दी, चावल, मिठाई, कच्चा, दूध, दही, देसी घी, शहद, शक्कर का बूरा, रोली, कुमकुम, मौली ये सभी सामान होना जरूरी है.

इन सबके अलावा सोलह श्रृंगार का सामान जैसे महावर, कंघा, मेहंदी, सिंदूर, चुनरी, बिंदी, चूड़ी, छलनी, बिछिया, करवा माता की तस्वीर, अगरबत्ती, कपूर, दीपक, गेहूं, रूई की बाती, लकड़ी का आसन, दक्षिणा, लहुआ, 8 पूरियों की अठावरी भी पूजा के लिए रखें.

करवा चौथ पर अर्घ्य देने की विधि

चंद्रमा के निकलने के बाद एक लोटे में जल भरकर रख लें. फिर उसमें सफेद फूल, कच्चा दूध और अक्षत् डाल दें. फिर चंद्रमा को देखकर अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय नीचे दिए गए मंत्र को पढ़ें.

गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

अर्घ्य के बाद चंद्र देव को प्रणाम करें. अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना कर लें. चंद्रमा की कृपा से सुख और समृद्धि बढ़ती है. अर्घ्य के समय चंद्रमा को छलनी से देखना न भूलें. उसके बाद पति अपनी पत्नी को मिठाई खिलाकर और पानी पिलाकर व्रत का पारण कराते हैं. इससे व्रत पूर्ण हो जाता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here