अभी हिन्दी पंचांग का आठवां महीना चल रहा है। इस महीने में लगभग हर दिन व्रत या कोई उत्सव मनाया जाता है। इस कारण इसे उत्सवों का महीना कहा जाता है। कार्तिक मास से शीत ऋतु का असर शुरू हो जाता है। मौसम में ठंडक बढ़ने लगती है। इस महीने में धर्म-कर्म के साथ ही खानपान, जीवन शैली से जुड़ी कुछ सावधानियां रखने से धर्म लाभ और अच्छी सेहत मिल सकती है।
शीत ऋतु की शुरुआत में जीवन शैली में और खानपान में जरूरी बदलाव करना चाहिए। वर्ना मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इन दिनों रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए और मंत्र जप के साथ ही ध्यान भी करना चाहिए। शीत ऋतु सेहत के नजरिए बहुत खास मानी जाती है। कुछ समय योग-व्यायाम और रनिंग आदि एक्टिविटी जरूर करनी चाहिए। खानपान में हरी सब्जियां, दूध, अनाज जरूर शामिल करें। अधिक तेल-मसाले की चीजों से बचना चाहिए।
जाने क्या करे और क्या न करे…
- कार्तिक मास में पूजा-पाठ का पूरा फल तब ही मिल पाता है, जब हम शांत मन से धर्म-कर्म करते हैं। इस महीने में घर में प्रेम बनाए रखें, क्लेश न करें। नशा-मांसाहार से बचें।
- कार्तिक मास में गणेश जी, कार्तिकेय स्वामी, धनवंतरि, यमराज, लक्ष्मी जी, गोवर्धन पर्वत, विष्णु जी और छठ माता की विशेष पूजा करनी चाहिए।
- अगर संभव हो सके तो इस इस महीने में पवित्र नदियों में दीपदान करना चाहिए। ये पुरानी परंपरा है। इस वजह से देशभर की सभी पवित्र नदियों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दीपदान करने पहुंचते हैं।
- इस महीने में तुलसी पूजा के लिए देवउठनी एकादशी रहती है, आंवले की पूजा के लिए आंवला नवमी मनाई जाती है। इस महीने में पीपल, बिल्व, आंवला, बरगद जैसे पेड़-पौधों की विशेष पूजा करने की परंपरा है।
- कार्तिक महीने में तीर्थ दर्शन करने का भी विशेष महत्व है। इस महीने में दीपावली (12 नवंबर) के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करनी चाहिए।
- भक्त गोवर्धन पूजा के बाद यमुना नदी में स्नान करते हैं। जो लोग इस महीने में किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें अपने शहर के आसपास किसी पौराणिक महत्व वाले मंदिर में दर्शन-पूजन करना चाहिए।
- कार्तिक मास में ठंड बढ़ने लगती है, इसलिए जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़ों का दान जरूर करें। कपड़ों के साथ खानपान से जुड़ी जरूरी चीजें, किसी मंदिर में पूजन सामग्री का दान जरूर करें।
- कार्तिक मास में सुबह देर तक सोने से बचना चाहिए। घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। समय-समय पर गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव घर में कर सकते हैं। ऐसा करने से घर की पवित्रता बढ़ती है और पूजा-पाठ के लिए घर का वातावरण शुभ बना रहता है।