- 13 मई 2025 – ज्येष्ठ माह का प्रारंभ
- 14 मई 2025 – वृषभ संक्रांति
- 16 मई 2025 – एकदन्त संकष्टी चतुर्थी
- 20 मई 2025 – मासिक कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
- 23 मई 2025 – अपरा एकादशी
- 24 मई 2025 – शनि प्रदोष व्रत
- 25 मई 2025 – मासिक शिवरात्रि
- 26 मई 2025 – वट सावित्री व्रत, दर्श अमावस्या
- 27 मई 2025 – शनि जयंती, ज्येष्ठ अमावस्या, रोहिणी व्रत
- 29 मई 2025 – महाराणा प्रताप जयंती
- 30 मई 2025 – विनायक चतुर्थी
- 1 जून 2025 – स्कन्द षष्ठी
- 3 जून 2025 – धूमावती जयंती, मासिक दुर्गाष्टमी
- 4 जून 2025 – महेश नवमी
- 5 जून 2025 – गंगा दशहरा
- 6 जून 2025 – निर्जला एकादशी, गायत्री जयंती
- 8 जून 2025 – प्रदोष व्रत
- 10 जून 2025 – वट पूर्णिमा व्रत, ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
- 11 जून 2025 – ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान और दान, कबीरदास जयंती
ज्येष्ठ माह का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी महीने में भगवान श्रीराम से हनुमान जी की मुलाकात हुई थी। इसलिए इस माह में मंगलवार का व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष आशीर्वाद और लाभ मिलता है। साथ ही, बजरंगबली की पूजा और अर्चना से जीवन के कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।इस पवित्र माह में जल का विशेष महत्व है, और जल संरक्षण एवं पेड़-पौधों को जल देने से न सिर्फ कष्टों का नाश होता है, बल्कि पितर भी प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इस समय दान और धार्मिक कार्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, जरूरतमंदों और पशु-पक्षियों को पानी पिलाने से विशेष लाभ मिलता है, जो आस्था और जीवन के सकारात्मक बदलाव का कारण बन सकता है।