नई दिल्ली -गूगल एक ऐसी एआई तकनीक पर काम कर रहा है जो वेब ब्राउज़र को नियंत्रित करके विभिन्न कार्यों को पूरा करेगी. Reuters के अनुसार, यह एआई टूल ‘Project Jarvis’ के रूप में ब्राउज़र में आएगा और गूगल जेमिनी एलएलएम (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) के अगले रिलीज़ के साथ लॉन्च होगा.
गूगल का नया प्रॉजेक्ट
इस तकनीक के साथ, यूज़र्स को ऑनलाइन रिसर्च करने में आसानी होगी, क्योंकि उन्हें एआई टूल को निर्देश देने के लिए एपीआई विकसित करने या स्क्रीन रिकॉर्डिंग करने की आवश्यकता नहीं होगी. इसके बजाय, यूज़र्स ब्राउज़र में सीधे कमांड दे सकते हैं और एआई टूल ऑटोमैटिक रूप से फॉर्म भरने, बटन क्लिक करने, वेब पेज खोलने, सर्च डेटा को टेबल में बदलने, प्रोडक्ट या सामान खरीदने, और फ्लाइट बुक करने जैसे कार्य करेगा. गूगल अकेला नहीं है जो इस तरह की तकनीक विकसित कर रहा है. ओपनएआई (OpenAI) भी एक कंप्यूटर-यूजिंग एजेंट (CUA) पर काम कर रहा है जो यूज़र के ब्राउज़र में ऑटोमैटिक रूप से वेब पर सर्फ करेगा.
पूरे कंप्यूटर को कंट्रोल करेगा एआई
Google की एआई ब्राउज़र-आधारित टेक्नोलॉजी के अलावा, सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाहें फैली हुई हैं कि Anthropic और Google इस टूल को अगले स्तर पर ले जाना चाहते हैं, जो ब्राउज़र कंट्रोल करने से परे जाकर आपके कंप्यूटर को ही नियंत्रित कर सकेगा.
कंपनियां एक ऐसा एजेंट बनाने की कोशिश कर रही है, जो आपके कंप्यूटर को आपके लिए कंट्रोल कर सकेगा. जैसे सभी वर्क ऐप्स को खोलना और उन्हें आपकी स्क्रीन पर व्यवस्थित करना, और यह आपके सिस्टम के साथ आपके लिए इंटरैक्ट करेगा. आपके कमांड को सुनकर कंप्यूटर इस एआई टेक्नोलॉजी की मदद से आपके सारे काम कर कर देगा.
हालांकि, ब्राउज़र-आधारित Project Jarvis भी शायद यूज़र्स की प्राइवेसी और सिक्योरिटी की चिंताओं को बढ़ा सकता है, जैसे कि Microsoft के विवादास्पद Recall फीचर ने किया था. इस तरह के वेब ब्राउज़र के माध्यम से बहुत सारे संवेदनशील डेटा तक पहुंचा जा सकता है – जिसमें ईमेल, वर्क फाइल्स और यहां तक कि बैंकिंग डिटेल्स शामिल हैं.
इस कारण से गूगल को यह सुनिश्चित करने के लिए Project Jarvis और उसके फ्यूचर डेवलपमेंट के चारों ओर एक सिक्योरिटी प्रदान करनी चाहिए ताकि कोई भी किसी यूज़र्स की निजी जानकारी तक पहुंच न सके.