सेक्शन 80सी के अंतर्गत करनी हैं टैक्स बचत,तो ले इन 5 योजनाओं की सहायता

नई दिल्ली : हर कोई अपनी मेहनत की कमाई पर ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाना चाहता है। इसके लिए टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश सबसे अच्छा विकल्प रहता है। इससे आपका टैक्स तो बचता ही है, साथ में आपका आर्थिक भविष्य भी सुरक्षित होता है.टैक्स बचाने के लिहाज से इनकम टैक्स का सेक्शन 80C काफी अहम है। इसमें निवेश के माध्यम से डेढ़ लाख रुपये तक की रकम पर टैक्स बचाने के कई विकल्प हैं। आइए हम आपको टैक्स बचाने वाली 5 स्कीमों के बारे में बताते हैं।

1. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)

आप अपने लाइफ पार्टनर या फिर बच्चों के नाम से खोले PPF अकाउंट में इन्वेस्ट करके टैक्स बचा सकते हैं। हालांकि, माता-पिता या भाई-बहन के अकाउंट में निवेश पर कोई टैक्स लाभ नहीं मिलता। PPF अकाउंट 15 साल में मैच्योर होता है। इसमें निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी पर रकम निकासी पर भी टैक्स छूट मिलती है।

2. इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)

ELSS यूनिट में तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है यानी अब तीन साल के भीतर निवेश वाली रकम नहीं निकाल सकते। इसलिए यूनिट बेचने पर होने वाले फायदे पर आपको टैक्स (Income Tax) नहीं देना पड़ता। निवेशक को मिलने वाला डिविडेंड भी टैक्‍स-फ्री रहता है। 80C के तहत डेढ़ लाख रुपये तक डिडक्‍शन भी क्‍लेम किया जा सकता है। इसमें आप एकमुश्‍त या फिर SIP के जरिए निवेश कर सकते हैं।

3. यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP)

यूलिप असल में लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और इन्वेस्टमेंट का मिला-जुला रूप है। इसमें आप जो प्रीमियम देते हैं, उसका एक हिस्सा जीवन बीमा कवर के लिए जाता है। वहीं, बचा हुआ हिस्सा रिटर्न के लिए किसी फंड में निवेश कर दिया जाता है। यूलिप में प्रीमियम की पूरी रकम पर 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है।

4. पांच साल के बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट

इसे अमूमन इनकम टैक्स (Income Tax) सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट भी कहा जाता है। मतलब कि ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश को आप पांच साल से पहले भुना नहीं सकते। हालांकि, इसमें ब्याज पर टैक्स चुकाना होता है।

5 . नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC)

NSC को टैक्स बचाने के लिहाज से काफी पसंद किया जाता है। यह पांच साल में मैच्योर होता है। इसमें भी 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है। इसमें भी ब्याज पर टैक्स देना होता है। हालांकि, शुरुआती वर्षों के ब्याज को NSC में निवेश समझा जाता है। ऐसे में उस पर 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है।

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