राष्ट्रीय शिक्षा नीति के चार साल पूरे, स्कूली शिक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम को एकरूपता लाने की पहल

नई दिल्ली- शिक्षा के क्षेत्र में विगत वर्षों में आए बड़े सुधारों से जुड़ी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को सोमवार को चार साल पूरे हो गए। इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर सभी राज्यों से स्कूली शिक्षा बोर्डों के पाठ्यक्रम और मूल्यांकन पैटर्न में एकरूपता लाने की पहल की है। साथ ही नीति से जुड़ी पहलों को तेजी के साथ जमीन पर उतारने की भी अपील की है। इस अवसर पर राज्यों को गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग करने का भी सुझाव दिया।

2020 में लागू हुई थी राष्ट्रीय शिक्षा नीति

गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को लागू किया गया था। जिसकी अब तक करीब दो सौ से ज्यादा सिफारिशें लागू की जा चुकी हैं। इस दौरान सोमवार को भी कई नई पहलों की घोषणा की गई। इसमें शिक्षा को भारतीय ज्ञान आधारित और भारतीय भाषाओं में देने पर जोर दिया गया।

मानेकशां सेंटर में हुआ कार्यक्रम

नीति के चार साल पूरा होने के मौके पर मंत्रालय ने अखिल भारतीय शिक्षा समागम नाम से एक बड़ा आयोजन किया। इसमें देश की शीर्ष शिक्षाविदों के साथ ही विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, राज्यों और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।नई दिल्ली के मानेकशां सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम को वैसे तो शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को संबोधित करना था, लेकिन संसद में व्यस्त होने के चलते वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए। उन्होंने एक संदेश भेजकर सभी को संबोधित किया और कहा कि देश को 21वीं सदी के ज्ञान का खजाना बनाने के लिए वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अक्षरश: लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारतीय ज्ञान पर जोर

प्रधान ने नीति से जुड़ी अमलों को जमीन पर उतारने के लिए तेजी से कार्य करने पर भी जोर दिया। राज्यों से नीति से जुड़ी अपनी अच्छी पहलों को एक-दूसरे के साथ साझा करने की सलाह दी। कार्यक्रम को शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी और डॉ. सुकांत मजूमदार ने भी संबोधित किया। उन्होंने भारतीय ज्ञान पर आधारित शिक्षा पर जोर दिया।

 

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