रेलवे ने भारत की सबसे लम्बी एस्केप टनल की लाइन और लेबल का सटीकता के साथ ब्रेक थ्रू किया है. ये टनल घोड़े की नाल के आकार की है. सुरंग दक्षिण की ओर सुंबर स्टेशन यार्ड और सुरंग टी-50 को जोड़ते हुए उत्तर की ओर खोड़ा गांव में खोड़ा नाला पर ब्रिज नंबर 04 को जोड़ती है. रेलवे का प्रयास है कि रेल नेटवर्क को बेहतर तरीके के साथ आम यात्रियों के लिए तैयार किया जाए. यूएसबीआरएल परियोजना के कटरा बनिहाल सेक्शन पर सुम्बर और खारी स्टेशनों के बीच भारत की सबसे लंबी एस्केप, टनल टी-49 का ब्रेक थ्रू कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की. असल में इस सुरंग को दोनों छोर को मिलाकर टनल के कार्य को लगभग पूरा कर लिया गया है.
भारत की सबसे लम्बी टनल
रेलवे ने भारत की सबसे लम्बी एस्केप टनल की लाइन और लेबल को सटीकता के साथ ब्रेक थ्रू कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है. घोड़े की नाल के आकार की यह सुरंग दक्षिण की ओर सुंबर स्टेशन यार्ड और सुरंग टी-50 को जोड़ते हुए उत्तर की ओर खोड़ा गांव में खोड़ा नाला पर ब्रिज नंबर 04 को जोड़ती है. बताते चलें कि टनल टी-49 एक जुड़वां ट्यूब सुरंग है, जिसमें मुख्य सुरंग (12.75 किलोमीटर) और एस्केप टनल (12.895 किलोमीटर) है. यह प्रत्येक क्रॉस- पैसेज पर 33 क्रॉस पैसेजों से जुड़ी हुई है. मुख्य सुरंग की खुदाई का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है. इसकी फाइनल लाइनिंग का कार्य तेज गति से चल रहा है.
क्यों बनाई जाती है एस्केप टनल ?
असल में आपातकालीन परिस्थितियों में बचाव और राहत कार्यों के लिए इसका निर्माण किया जाता है. एस्केप सुरंग युवा हिमालय के रामबन फॉर्मेशन के साथ-साथ खोड़ा, हिंगनी, पुंदन, नालों जैसी चिनाब नदी की विभिन्न सहायक नदियों / नालों के साथ-साथ गुजरती है. इससे सुरंग खुदाई का कार्य बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
क्या दिक्कतें आई सामने?
उधमपुर- श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (USBRL परियोजना) की कुल 272 किलोमीटर लंबाई में से 161 किलोमीटर को पहले ही चालू किया जा चुका है. कटरा बनिहाल के बीच के शेष 111 किलोमीटर पर काम तेजी से चल रहा है. कटरा बनिहाल सैक्शन निचले हिमालय के पहाड़ी इलाकों से गुजर रहा है, जिसमें कमजोर भूविज्ञान क्षेत्र की दुर्गमता, मौसम की प्रतिकूल स्थितियां, भूस्खलन, और पहुंच मार्गों पर पत्थरों का गिरना प्रमुख चुनौतियां हैं.