BHU में लॉन्च होगी मशीन– कोरोना का नया वैरिएंट ओमीक्रोन XBB.1.16 तेजी से देश में फैल रहा है। वैक्सीन का बूस्टर डोज लेने वाले भी इस वैरिएंट की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में फिर से लैब्स पर कोरोना टेस्टिंग का दबाव फिर से बढ़ने वाला है। वहीं, काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी BHU ने देश में एक नई उम्मीद जगाई है।
BHU के साइंस फैकल्टी द्वारा संचालित BHU-NEST इंक्यूबेशन में मोबाइल के आधी साइज की एक डिवाइस लॉन्च होने वाली है। यह डिवाइस मात्र 30 मिनट में कोविड टेस्ट कर (RT-PCR) रिपोर्ट देगी। अब किसी BSL मानक के लैब्स की जरूरत नहीं, क्योंकि यह छोटी सी डिवाइस ही अपने आप में 10-15 मशीनों को समेटे पूरा लैब है। इस डिवाइस की कीमत 20 से 25 हजार रुपए होगी। वहीं, प्रति व्यक्ति जांच का खर्चा महज 100 रुपए आएगा। आगे चलकर यह 70-80 रुपए भी हो सकता है। इस डिवाइस की ऊंचाई 5 सेंटीमीटर, चौड़ाई 4 सेंटीमीटर और वजन 100 ग्राम से भी कम है।
LAMP और PCR के बीच की तकनीक
BHU-NEST में रजिस्टर्ड स्टार्टअप टॉरमेट टेक्नोलॉजीज ने दक्षिण कोरिया की मदद से भारत की यह पहली मशीन बनाई है, जो कि इतने कम समय में कोविड रिपोर्ट देने में सक्षम है। स्वदेशी तकनीक से बनी यह मशीन मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक पर आधारित है। यह पॉलिमर चेन रिएक्शन यानी PCR और लूप मेडिएटेड आइसोथर्मल एंप्लीफिकेशन यानी LAMP मेथड के बीच की तकनीक है। हालांकि, इस तकनीक को पेटेंट कराया गया है, जिस पर ज्यादा बात नहीं की जा सकती।
बदलने वाला है भारत का टेस्टिंग
2025 तक टीबी उन्मूलन में यह मशीन काफी कारगर साबित होगी। करीब दो महीने तक इसका ट्रायल रन होगा। उसके बाद ही लॉन्च किया जाएगा।बिना कोविड रिपोर्ट के नहीं शुरू होता मरीजों का इलाज अस्पताल में आए दूसरे रोग के मरीजों का इलाज तब तक नहीं हो पाता, जब तक कि उसकी कोविड रिपोर्ट निगेटिव न आ जाए। सामान्य रोगियों का ठीक है, मगर क्रिटिकल केसेज में कोविड रिपोर्ट आने तक मरीज की जान भी जा सकती है। क्याेंकि कोविड के सैंपल को लैब में भेजना होता है। वहां से 10-12 घंटे बाद रिपोर्ट आती है और उसके बाद डायग्नोस्टिक शुरू होती है। मगर, यह डिवाइस आपको तत्काल जहां पर मरीज है, वहीं पर रिपोर्ट दे देती है। इसे अस्पताल की OPD से लेकर वार्ड तक में इस्तेमाल किया जा सकता है।
यहां पर दिख रही सारी मशीनों का काम उस एक डिवाइस में हो जाएगा। मशीन से रैंडम टेस्टिंग कर सकते हैं.सबसे बड़ी बात है कि इस मशीन को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। बल्क में एक साथ कई लोगों की रैंडम टेस्टिंग की भी जा सकती है। अस्पताल ही नहीं बल्कि, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डों पर भी कम समय में स्क्रीनिंग कर रिपोर्ट दी जा सकती है। वर्तमान में इस साइज की मशीन में कोविड की टेस्टिंग की जाती है, जिसे एक व्यक्ति के द्वारा कैरी करना आसान नहीं होता।
PM मोदी ने वाराणसी में रखा था टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को ही वाराणसी में कहा था कि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बना देंगे। ऐसे में यह मशीन उसका भी एक हिस्सा है। डॉ. आनंद ने कहा कि टीबी हवा में है। वह इंसान के शरीर में भी रहता है। जब कोई इम्युनोकंप्रोमाइज्ड होता है तो टीबी उभरता है। टीबी के उन्मूलन में यह डिवाइस क्रांतिकारी साबित होने वाला है। सोसाइटी में मौजूद बड़ी आबादी की कम से कम समय में टीबी रिपोर्ट तैयार की जा सकती है। टीबी के अलावा इस HIV, मलेरिया और डेंगू आदि की भी टेस्टिंग की जा सकती है।