देवस्थल में लॉन्च हुआ एशिया का सबसे बड़ा लिक्विड मिरर टेलिस्कोप, जाने इसकी विशेषता

 

इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप : आकाशीय और खगोलीय जानकारी के क्षेत्र में भारत ने को एक और मील का पत्थर रख दिया। एशिया का सबसे बड़ा 4-मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप मंगलवार को उत्तराखंड के देवस्थल में लॉन्च किया गया। यह वैज्ञानिकों को गहरे आकाश की और अधिक जानकारी देने और क्षुद्रग्रहों से लेकर सुपरनोवा जैसी चीजों की अधिक जानकारी देने का काम करेगा।

टेलीस्कोप का उद्घाटन विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि यह भारत को खगोल विज्ञान और आकाश के अध्ययन के क्षेत्र में एक प्रमुख देश बनने में मदद करेगा। साथ ही आसमान और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने और बाकी दुनिया के साथ साझा करने की क्षमता का भी विस्तार होगा।

टेलीस्कोप की विशेषता

  • इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप में प्रकाश को इकट्ठा करने और केंद्रित करने के लिए तरल पारे की एक पतली परत से बना 4-मीटर-व्यास का घूमने वाला दर्पण है।
  • धातु का पारा कमरे के तापमान पर तरल रूप में होता है, जो अत्यधिक परावर्तक होता है और हर रात ऊपर से गुजरने वाली आकाश की पट्टी का सर्वे करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • ये टेलीस्कोप विभिन्न घटकों से बना है। इसका प्राथमिक घटक एक कटोरा है जिसमें दर्पण की एक परावर्तक तरल धातु होती है। यह एक एयर बेयरिंग और ड्राइव सिस्टम से भी लैस है।
  • टेलीस्कोप का पारा माइलर से बनी एक पतली पारदर्शी फिल्म द्वारा हवा से सुरक्षित रहता है।
  • टेलिस्कोप के ऑप्टिकल करेक्टर के जरिए प्रकाश तेज छवियों का निर्माण करने के लिए विभिन्न प्रकार के फिल्टर से गुजरता है। एक 4K-TV कैमरा शीशे के ऊपर स्थित है।

टेलिस्कोप क्यों बनाया गया?

इसे रात में आकाश का सर्वे करने और सुपरनोवा, अंतरिक्ष मलबे और गुरुत्वाकर्षण लेंस जैसी चीजों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। टेलीस्कोप अपने डेटा के जरिए मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर आकाश में मौजूद वस्तुओं का विश्लेषण कर सकता है।

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