नई दिल्ली- भारतीय रेलवे जल्द ही ट्रेन में ले जाने वाले सामान के वजन और साइज को लेकर सख्त नियम लागू करने जा रहा है। ये नियम एयरपोर्ट की तर्ज पर होंगे।TOI ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है। लगेज के वजन और साइज को लेकर ये नियम पहले से हैं, लेकिन अब इन्हें सख्ती से लागू करने की तैयारी है।रिपोर्ट के मुताबिक अभी कुछ स्टेशनों पर ये लागू होंगे। इन स्टेशनों पर यात्रियों को अपने सामान को इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीनों से तौलना होगा। अगर सामान तय सीमा से ज्यादा भारी है या वजन कम होने के बावजूद बहुत बड़ा (ज्यादा जगह लेने वाला) है, तो इसके लिए अतिरिक्त चार्ज या जुर्माना देना होगा।
लखनऊ और प्रयागराज मंडल के स्टेशनों से होगी शुरुआत
उत्तर और उत्तर मध्य रेलवे ने इसकी शुरुआत लखनऊ और प्रयागराज मंडल के प्रमुख स्टेशनों से करने का फैसला किया है। इनमें लखनऊ चारबाग, बनारस, प्रयागराज जंक्शन, कानपुर सेंट्रल, मिर्जापुर, अलीगढ़, गोविंदपुरी और इटावा जैसे स्टेशन शामिल हैं। इन जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक लगेज मशीनें लगाई जाएंगी। प्लेटफार्म पर एंट्री से पहले बैग का वजन और साइज चेक होगा।
प्रयागराज डिवीजन के NCR के सीनियर डिवीजनल कॉमर्शियल मैनेजर (DCM) हिमांशु शुक्ला ने कहा कि इन स्टेशनों पर यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर जाने की इजाजत तभी मिलेगी, जब उनके सामान का वजन तौला जाएगा और वह तय सीमा के अंदर होगा।
ट्रेन में सामान ले जाने के नियम
- सामान पर आपका नाम और पता इंग्लिश या हिंदी में साफ और पढ़ने लायक होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो सामान बुकिंग के लिए स्वीकार नहीं होगा।
- सामान को मजबूती से पैक करना जरूरी है। अगर पैकिंग ठीक नहीं है, तो आपको एक फॉरवार्डिंग नोट साइन करना होगा, जिसमें पैकिंग की खामियां लिखी जाएंगी।
- अगर आप चाहते हैं कि आपका सामान आपके साथ उसी ट्रेन में जाए, तो इसे ट्रेन के निर्धारित डिपार्चर टाइम से कम से कम 30 मिनट पहले लगेज ऑफिस में जमा करना होगा।
- जिन यात्रियों ने अपनी सीट पहले से बुक की है, वे अपने सामान की बुकिंग भी उसी समय कर सकते हैं।
अगर सामान का वजन फ्री अलाउंस से ज्यादा हो, तो क्या होगा?
- अगर आपका सामान फ्री अलाउंस से ज्यादा लेकिन अधिकतम सीमा के अंदर है, तो आप 1.5 गुना लगेज रेट देकर इसे अपने साथ ले जा सकते हैं।
- अगर सामान बिना बुकिंग के या आंशिक बुकिंग के साथ पकड़ा जाता है और ये फ्री अलाउंस से ज्यादा है, तो अतिरिक्त वजन पर 6 गुना लगेज रेट लगेगा, न्यूनतम 50 रुपए के साथ।
- अगर सामान मार्जिनल अलाउंस के अंदर है, तो 1.5 गुना रेट लगेगा। बड़े सामान को पहले से ब्रेक वैन में बुक करना होगा।
कितना सामान मुफ्त ले जा सकते हैं?
हर यात्री को अपने साथ कुछ सामान मुफ्त ले जाने की छूट मिलती है। ये छूट अलग-अलग क्लास के हिसाब से अलग होती है। 5 से 12 साल तक के बच्चों को आधा फ्री अलाउंस मिलता है, लेकिन ज्यादा से ज्यादा 50 किलो तक। इसके अलावा, एक छोटा-सा मार्जिनल अलाउंस भी मिलता है।अगर आप फ्री अलाउंस से ज्यादा सामान ले जाते हैं, तो ज्यादा वजन के लिए 1.5 गुना लगेज रेट देना होगा। अगर आप बिना बुकिंग के या आंशिक बुकिंग के साथ पकड़े जाते हैं, तो फ्री अलाउंस से ज्यादा वजन पर 6 गुना रेट देना होगा, जिसमें न्यूनतम 50 रुपए का चार्ज होगा।
अगर आपका सामान 100 किलो से ज्यादा वजनी है या इसका बाहरी माप 1 मीटर x 1 मीटर x 0.7 मीटर से ज्यादा है, तो इसे बल्की (भारी) माना जाएगा। ऐसे सामान पर डबल रेट का बल्की सरचार्ज लगेगा। लेकिन अगर कोई एक माप 10% तक ज्यादा है और वजन 100 किलो से कम है, तो इसे बल्की नहीं माना जाएगा। बड़े सामान को ब्रेक वैन में बुक करना होगा, इनका न्यूनतम चार्ज 30 रुपए है।
कौन से सामान की बुकिंग नहीं हो सकती?
- बदबूदार, विस्फोटक, खतरनाक, ज्वलनशील सामान।
- खाली गैस सिलेंडर, मरे हुए मुर्गे, एसिड और अन्य नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ।
पर्सनल लगेज के लिए क्या नियम हैं?
- ट्रंक, सूटकेस या बक्से का बाहरी माप 100 सेमी x 60 सेमी x 25 सेमी (लंबाई x चौड़ाई x ऊंचाई) होना चाहिए। इससे बड़ा सामान ब्रेक वैन में बुक करना होगा, न कि पैसेंजर कम्पार्टमेंट में।
- AC 3-टियर और AC चेयर कार में ट्रंक/सूटकेस का अधिकतम माप 55 सेमी x 45 सेमी x 22.5 सेमी है। मर्चेंडाइज (व्यापारिक सामान) को पर्सनल लगेज के तौर पर ले जाने की इजाजत नहीं है।
अगर सामान चोरी हो जाए या खराब हो जाए, तो क्या करें?
- चोरी: अगर ट्रेन में चलते समय सामान चोरी हो जाए या डकैती हो, तो आप ट्रेन कंडक्टर, कोच अटेंडेंट, गार्ड या GRP एस्कॉर्ट से संपर्क कर सकते हैं। वे आपको FIR फॉर्म देंगे, जिसे भरकर उन्हें देना होगा। ये शिकायत अगले पुलिस स्टेशन में दर्ज होगी। आपको अपनी यात्रा बीच में नहीं रोकनी पड़ेगी। बड़े रेलवे स्टेशनों पर RPF असिस्टेंस पोस्ट पर भी मदद मांग सकते हैं।
- खराब या गुम होना: अगर सामान का मूल्य पहले से डिक्लेयर नहीं किया गया और प्रीमियम चार्ज नहीं दिया गया, तो रेलवे की जिम्मेदारी 100 रुपए प्रति किलो तक सीमित है। लेकिन अगर मूल्य डिक्लेयर किया गया और प्रीमियम चार्ज दिया गया, तो आप डिक्लेयर की गई वैल्यू तक क्लेम कर सकते हैं। प्रीमियम चार्ज की जानकारी लगेज बुकिंग ऑफिस से मिल सकती है।
पालतू जानवरों, खासकर कुत्तों को ले जाने के नियम क्या हैं?
कुत्तों के लिए:
- ब्रेक वैन (डॉग-बॉक्स) में ले जाने पर 30 किलो के हिसाब से और पैसेंजर कम्पार्टमेंट में 60 किलो के हिसाब से चार्ज लगेगा। न्यूनतम चार्ज 10 रुपए है।
- नेत्रहीन व्यक्ति के साथ ‘सीइंग आई’ कुत्ता फर्स्ट क्लास में ब्रेक वैन की दरों पर ले जाया जा सकता है।
- कुत्ते को कॉलर और चेन के साथ होना चाहिए। खाना और पानी का इंतजाम मालिक को करना होगा।
- AC फर्स्ट क्लास में कुत्ता तभी ले जा सकते हैं, जब बाकी यात्री सहमत हों। अगर बाद में कोई आपत्ति करता है, तो कुत्ते को गार्ड वैन में शिफ्ट करना होगा, और कोई रिफंड नहीं मिलेगा।
- AC स्लीपर, AC चेयर कार, स्लीपर क्लास और सेकेंड क्लास में कुत्तों को ले जाने की इजाजत नहीं है। अगर ऐसा पाया गया, तो 6 गुना लगेज रेट और न्यूनतम 50 रुपए चार्ज लगेगा।
- बड़े कुत्ते, जो डॉग-बॉक्स में नहीं आ सकते, उन्हें घोड़ों के लिए लागू रेट्स पर स्पेशल व्हीकल में ले जाना होगा।
अन्य जानवरों के लिए:
- भारतीय रेलवे एक्ट की धारा 77-A के तहत जानवरों की जिम्मेदारी सीमित है। उदाहरण के लिए, हाथी के लिए 1500 रुपए, घोड़े के लिए 750 रुपए, गाय-बैल के लिए 200 रुपए, और कुत्ते, बकरी, भेड़ आदि के लिए 30 रुपए प्रति जानवर।
- अगर जानवर की कीमत इन राशियों से ज्यादा है, तो मालिक को इसकी वैल्यू डिक्लेयर करनी होगी और प्रीमियम चार्ज देना होगा। नहीं तो, रेलवे की जिम्मेदारी सीमित रहेगी