Thursday, July 25, 2024
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रेलवे लगा रहा ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम,जिससे बढ़ेगी ट्रेनों की रफ़्तार

नई दिल्ली-  भारतीय रेलवे समय-समय पर तकनीकी बदलाव करता रहता है और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करता रहता है. इसी क्रम में भारतीय रेलवे सभी स्टेशनों पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिस्टम लागु कर रहा है, ताकि ट्रेनों को पहले से ज्यादा सुरक्षित और समयबद्ध तरीके से चलाया जा सके.आधुनिक तकनीक उपयोग करने की कड़ी में पूर्व मध्य रेल  के कुल 494 स्टेशनों में से अब तक 162 स्टेशनों को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग इंटरलॉकिंग सिस्टम से लैस किया जा चुका है.

इस रूट के अन्य स्टेशनों पर भी ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम स्थापित किया जा रहा है, जो पूर्व मध्य रेल के मौजूदा उच्च घनत्व वाले मार्गों पर लाइन क्षमता को बढ़ाते हुए और अधिक ट्रेनों के परिचालन में स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली में काफी मददगार होगा.

इस तरह से काम करता है ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम

ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम यानी स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली में दो स्टेशनों के बीच प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिगनल लगाए जाते हैं. नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे प्रत्येक एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए जाते हैं. जिसके फलस्वरुप सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी. अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी. जो ट्रेन जहां रहेंगी और वो जहा हैं वहीं रुक जाएंगी.

ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर एक किमी के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकेंगी. इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ सकेगी. वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा. स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा. यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेगी. इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती रहेगी.

मिशन रफ्तार के तहत पूर्व मध्य रेल के कई रेलखंडों को ऑटोमेटिक ब्लॉक सिस्टम से लैस करने के लिए वर्तमान में यह प्रणाली प्रारंभिक चरण में है.इस तरह के ब्लॉक सिस्टम में एक ब्लॉक सेक्शन में ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंच जाने के बाद ही पीछे वाली ट्रेन को आगे बढ़ने के लिए ग्रीन सिग्नल मिलता है, जिससे खाली रेल लाइनों की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है. लेकिन ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम स्थापित हो जाने के बाद ट्रेनों का परिचालन और भी बेहतर हो पाएगा.

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