नई दिल्ली- चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) जैसे ऊंचाई वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी मोबाइल मारक क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय सेना जल्द ही 105 मिलीमीटर 37 कैलिबर की तोपों से लैस 200 नई माउंटेड हॉवित्जर तोपें खरीदने के लिए जल्द ही निविदा जारी करने जा रही है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि यह खरीद ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत की जाएगी। पहली बार भारतीय तोपखाने (आर्टिलरी) में इस प्रकार की 105 मिलीमीटर की माउंटेड हॉवित्जर तोपें शामिल होंगी। इससे अग्रिम पंक्ति में तैनात टुकडि़यों की ताकत में वृद्धि होगी।
तोपखाने का आधुनिकीकरण कर रही सेना
उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना स्वदेशी कंपनियों की क्षमताओं का उपयोग करके अपने तोपखाने का आधुनिकीकरण कर रही है, क्योंकि भारतीय उद्योग ने इस क्षेत्र में क्षमताएं विकसित की हैं और अब वह इन प्रणालियों को विदेश भी निर्यात कर रहा है।
200 माउंटेड हॉवित्जर तोपों के साथ रक्षा मंत्रालय जल्द ही मेक इन इंडिया के तहत खींचकर ले जा सकने वाली (टाउड) 400 नई तोपों की खरीद को मंजूरी पर भी विचार करने जा रहा है। 30 नवंबर को होने वाली रक्षा खरीद परिषद की बैठक में इनकी खरीद के प्रस्ताव पर चर्चा होने की उम्मीद है।
पूरी तरह भारतीय होगी हॉवित्जर
भारतीय सेना की तोपखाना रेजिमेंट 155 मिलीमीटर/52 कैलिबर की खींचकर ले जा सकने वाली तोप प्रणाली का उत्पादन करने के लिए भारतीय उद्योग की विशेषज्ञता का उपयोग करना चाहती है। भारत में डिजाइन, विकसित और निर्मित हॉवित्जर का मतलब यह होगा कि यह पूरी तरह से भारतीय होगी। सेना चाहती है कि पुरानी बोफोर्स तोपों की तरह ये तोपें वजन में हल्की हों और इन्हें ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करना आसान हो।
पिछले दशक में हुए चार अनुबंध
पिछले दशक में 155 मिलीमीटर हॉवित्जर की खरीद के लिए चार अनुबंध हुए हैं। इन तोप प्रणालियों को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है और अधिक रेजिमेंटों को इन तोपों से सुसज्जित किया जा रहा है। सात रेजिमेंटों को पहले ही अल्टा लाइट हावित्जर (यूएलएच) से सुसज्जित किया जा चुका है, जबकि पांच को सेल्फ प्रोपेल्ड गन से सुसज्जित किया गया है।