सरकार ने रबी की 6 फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की, गेहूं की MSP 150 रुपए की बढ़ोतरी

नई दिल्ली- गेहूं की फसल पर अभी 2,125 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य था, जिसे बढ़ाकर 2,275 रुपए प्रति क्विंटल किया गया।केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,275 रुपए क्विंटल कर दिया है। रबी की 5 अन्य फसलों जौ, चना, मसूर, सरसों, कुसुम की MSP में भी बढ़ोतरी की है। 18 अक्टूबर को कैबिनेट मीटिंग में ये निर्णय लिया गया।

रबी फसल की बुआई लौटते मानसून और पूर्वोत्तर मानसून के समय की जाती है। इन फसलों की कटाई आमतौर पर गर्मी के मौसम में अप्रैल में होती है। ये फसलें बारिश से ज्यादा प्रभावित नहीं होती हैं। रबी की प्रमुख फसलें गेहूं, चना, मटर, सरसों और जौ है।

क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइस?

न्यूनतम समर्थन मूल्य वो गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।

सरकार हर फसल सीजन से पहले CACP यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर MSP तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतों में गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।

 

MSP में 23 फसलें शामिल होती हैं:

  • 7 प्रकार के अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ)
  • 5 प्रकार की दालें (चना, अरहर/तुअर, उड़द, मूंग और मसूर)
  • 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड)
  • 4 व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)

5 गीगावाट कैपेसिटी की लाइन को भी मंजूरी

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट मीटिंग में लद्दाख से मेन ग्रिड तक लाने के लिए 5 गीगावाट कैपेसिटी की लाइन को मंजूरी दी गई है। इसकी अनुमोदित लागत 20 हजार 773 करोड़ रुपए हैं। यह लाइन लद्दाख से हरियाणा के कैथल तक आएगी। ये हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों से होकर गुजरेगी। इसे राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ जाएगा।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले से लद्दाख के लिए 7.5 गीगावाट का सोलर पार्क स्थापित करने की घोषणा की थी। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस दिशा में 13 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करने का प्लान बनाया। जब सोलर पावर प्लांट बनेंगे तो इसके लिए ट्रांसमिशन लाइन बहुत जरूरी है।

 

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