दुनिया में हैं 300 से अधिक गीताएं! जानिए अष्टावक्र गीता का अद्भुत महत्व

हिंदू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता को अत्यंत मूल्यवान ग्रंथ माना जाता है। यह ज्ञान का स्रोत केवल धार्मिक कर्मकांड तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन जीने, धर्म निभाने और आत्मा के विकास का मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। महाभारत के युद्धभूमि कुरुक्षेत्र में, जब अर्जुन धर्म और कर्तव्य के बीच उलझन में थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया। इस उपदेश ने अर्जुन को अपने कर्तव्यों का बोध कराया और जीवन को सही दिशा देने में मदद की। हालांकि भगवत गीता अकेली नहीं है। हिंदू धर्म में अन्य भी कई गीताएं हैं, जिनमें उल्लेखित ज्ञान मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे नैतिकता, आध्यात्मिकता, निर्णय क्षमता और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए मार्गदर्शन करती हैं। ये ग्रंथ आज भी लोगों को जीवन में संतुलन और सकारात्मक दिशा प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

भगवद गीता के अलावा 300 से ज्यादा गीताएं

हिंदू धर्म और प्राचीन पुराणों में ऐसे कई गूढ़ और बहुमूल्य ज्ञान का उल्लेख मिलता है, जिन्हें ‘गीता’ कहा गया है। आमतौर पर लोग केवल श्रीमद्भागवत गीता के बारे में ही जानते हैं, लेकिन वास्तव में 300 से अधिक गीताएं हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये सभी ग्रंथ जीवन, धर्म, कर्म और आध्यात्मिकता के अलग-अलग पहलुओं का मार्गदर्शन करते हैं।

भगवद गीता - विकिपीडिया

इन गीताओं में श्रीमद्भागवत गीता के अलावा अणु गीता, उत्तर गीता, भिक्षु गीता, गोपी गीता, अष्टवक्र गीता, उद्धव गीता, नहुष गीता, नारद गीता, पांडव गीता, शौनक गीता, व्याध गीता, युधिष्ठर गीता, पराशर गीता, पिंगला गीता, बोध्य गीता, मणकी गीता, व्यास गीता, वृत्र गीता, संपक गीता, हरिता गीता, भीष्म गीता, ब्राह्माण गीता, सनत्सुदान गीता, विदुर गीता, भ्रमर गीता, वेणु गीता, बक गीता, ब्रह्म गीता, जनक गीता, सिद्ध गीता, राम गीता, विभीषण गीता, हनुमद गीता, अगस्त गीता, भरत गीता, अवधूत गीता, ऋषभ गीता, वशिष्ठ गीता, कपिल गीता, जीवन्मुक्त गीता, हंस गीता, श्रुति गीता, युगल गीता जैसी कई अन्य गीताएं शामिल हैं।

सभी गीताओं का उद्देश्य अलग-अलग है, लेकिन ये जीवन और धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण ज्ञान का मार्गदर्शन देती हैं। इनमें किसी गीता को ऊपर या नीचे नहीं माना गया है, क्योंकि हर एक अपने तरीके से व्यक्ति के जीवन में दिशा और समझ का विकास करती है। विशेष रूप से अष्टावक्र गीता को ‘महागीता’ का सम्मान प्राप्त है, जिसे अद्वैत वेदांत और आत्मज्ञान का सर्वोत्तम ग्रंथ माना जाता है।

उलझनों का सामना करना सिखाती हैं तमाम गीताएं 

हम सभी जानते हैं कि महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था, जिससे अर्जुन अपने धर्म और कर्तव्य के मार्ग को समझ सके। लेकिन कम लोग जानते हैं कि युद्ध के बाद भी अर्जुन को श्रीकृष्ण ने एक और उपदेश दिया था, जिसे अनुगीता कहा जाता है। यह उपदेश भी जीवन में सही निर्णय लेने और कठिन परिस्थितियों का सामना करने का मार्गदर्शन देता है।

धर्म और जीवन की उलझनों में भगवान श्रीकृष्ण हमेशा भक्तों को सही दिशा दिखाते रहे हैं। जैसे श्रीरामजी को किसी समस्या का सामना करना पड़ा, तो ऋषि अगस्त्य ने उन्हें शिव गीता के माध्यम से मार्गदर्शन दिया। इसी तरह, विभिन्न गीता ग्रंथों ने हर काल में भक्तों को नैतिक, आध्यात्मिक और व्यावहारिक समस्याओं से निपटने का मार्ग दिखाया है। हर गीता अपने तरीके से जीवन की कठिनाइयों को समझने, संयम रखने और सही निर्णय लेने की सीख देती है।

अष्टावक्र गीता: राजा जनक संवाद पर आधारित

सभी गीता ग्रंथों में से अष्टावक्र गीता अपनी सैद्धांतिक गहराई और परम सत्य को समझाने के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह गीता मन की शांति, आत्मज्ञान और मोक्ष की दिशा में मार्गदर्शन देती है। महार्षि अष्टावक्र, जिनके शरीर के आठ अंग काम नहीं करते थे, ने राजा जनक से संवाद करते हुए जीवन के गूढ़ रहस्यों और सत्य का ज्ञान साझा किया।

अष्टावक्र गीता में बताया गया है कि व्यक्ति तभी सच्ची स्वतंत्रता और शांति प्राप्त कर सकता है, जब वह प्राकृतिक व्यवधानों और भौतिक बंधनों से ऊपर उठता है। जो व्यक्ति केवल भौतिक सुख-संपत्ति और दुनिया की चीजों के पीछे भागता है, उसका मन अशांत रहता है और वह अनवरत उलझनों में फंसता है।

इस ग्रंथ का मुख्य संदेश यह है कि जीवन में सच्ची शांति और आनंद तभी प्राप्त होता है, जब हम अपने भीतर की वास्तविक भावना और आत्मा को समझें। दुख और सुख केवल मन के बने भ्रम हैं, और इनसे मुक्त होना आवश्यक है। अष्टावक्र गीता यह भी सिखाती है कि दुनिया को अपने आप से अलग मानकर किसी के साथ भेदभाव या द्वेष नहीं करना चाहिए, क्योंकि आत्मा और परमात्मा एक ही हैं।

इसलिए, भगवद गीता के साथ अष्टावक्र गीता को पढ़ना और समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल जीवन की समस्याओं, मतभेद और द्वेष को समाप्त करने का मार्ग दिखाती है, बल्कि हमें सच्चे आत्मज्ञान और मानसिक शांति की ओर भी ले जाती है।

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