कानपुर: लंबे समय से क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश के प्रयासों में लगे आईआईटी कानपुर ने बड़ी सफलता हासिल कर ली है। सेशना एयरक्राफ्ट की मदद से आईआईटी परिसर के ऊपर हवा में केमिकल पाउडर ब्लास्ट किया गया जिसके बाद बारिश हुई। यह परीक्षण डीजीसीए की अनुमति के बाद हुआ। इस पूरे परीक्षण के इंचार्ज प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने इस टेस्ट फ़्लाइट और हवा में केमिकल ब्लास्ट की पुष्टि की है।
2017 से प्रोजेक्ट में लगा था आईआईटी कानपुर
प्रोफ़ेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि कोरोना के कारण इस प्रयोग के कुछ उपकरण अमेरिका में थे जो 2 साल बाद आईआईटी पहुंच पाए और इसके बाद डीजीसीए ने भी इस परीक्षण की परमिशन दी। डीजीसीए की इजाजत के बाद अब इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है। बता दें कि आईआईटी कानपुर 2017 से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में क्लाउड सीडिंग परीक्षण की अनुमति दे दी थी लेकिन उपकरण अमेरिका में फंस जाने के कारण इसका परीक्षण संभव नहीं हो पाया था।
प्रदूषण और सूखा से राहत के लिए करा सकते हैं बारिश
कृत्रिम बारिश का फायदा ये होगा कि ज्यादा वायु प्रदूषण और सूखे की स्थिति में बारिश कराकर लोगों को राहत दी जा सकती है। दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में वायु प्रदूषण से लोगों को अब जल्दी ही राहत की सांस मिलने वाली है। प्रोफ़ेसर महेंद्र अग्रवाल ने बताया आईआईटी कानपुर हवाई पट्टी से उड़े सेशना एयरक्राफ्ट जो कि 1 से 2 किलोमीटर ऊपर जाकर बादलों के बीच केमिकल ब्लास्ट करता है, इसके बाद क्लाउड सीडिंग होकर बारिश होती है। यह सब कुछ आईआईटी कानपुर के ऊपर ही किया गया जिसका परीक्षण सफल रहा। इस सफल टेस्टफ्लाइट के नतीजों का आंकलन करने के बाद यह तय किया जाएगा आगे इसके और कितनी बार टेस्ट करने हैं।