गरुवार, 13 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा है, इस तिथि पर रात में होलिका दहन किया जाता है। ये पर्व रात्रि जागरण का है, यानी इस पर्व पर रात में जागरण किया जाता है और अपने इष्टदेव की विशेष पूजा की जाती है। होलिका दहन की रात भक्त मंत्र जप करते हैं। माना जाता है कि इस रात में की गई पूजा-पाठ जल्दी सिद्ध होती है। फाल्गुन पूर्णिमा की रात का धार्मिक महत्व दीपावली, नवरात्रि और शिवरात्रि की रात के समान ही है। इन पर्वों पर रात में पूजा करने की परंपरा है।
होली की रात मंत्र जप करने पर पूजा जल्दी सफल हो सकती है, इस पूजा से शुभ असर से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संयम रखकर गुरु मंत्र का जप करना चाहिए। मान्यता है कि होली की रात किया गया मंत्र जप का पूरे साल शुभ असर बना रहता है। इसलिए होलिका दहन की रात में अपने इष्ट देव की पूजा करने और मंत्र जप करने की परंपरा है।
होली की राख होती है बहुत पवित्र
होलिका दहन के बाद जो राख हमें मिलती है, वह सामान्य नहीं होती है। होली की राख को बहुत ही पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि होली की राख को पानी में मिलाकर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोषों का असर कम होता है। होली की राख का इस्तेमाल शिव पूजा में भस्म के रूप में किया जा सकता है। शिवलिंग पर होली राख से भस्म चढ़ा सकते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा पर करें ये शुभ काम भी
- इस पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। जो लोग नदी स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय सभी तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाकर अभिषेक करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। चंदन का लेप लगाएं। मिठाई का भोग लगाएं।
- हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करें। आप चाहें तो ऊँ श्रीराम दूताय नम: मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
- भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। बालगोपाल को माखन मिश्री का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं।
- भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें।
- किसी गोशाला में गायों के लिए धन का और हरी घास का दान करें। जरूरतमंद लोगों को खाने-पीने की चीजें, धन, कपड़े, जूते-चप्पल, छाते का दान कर सकते हैं।