ट्रेन कैसे बदलती है पटरी? दिन या रात कभी नहीं होती गलती ; ये है वजह

ट्रेन ट्रैक- दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भारत का माना जाता है. हर सेकंड सैकड़ों ट्रेनें पटरियों पर दौड़ती हैं और आज के समय में उन्हें काफी अच्‍छे टेक्निकल सिस्टम के जरिए चलाया जा रहा है.आपने देखा होगा कि रेलवे स्‍टेशन पर कई पटरियां होती है. कैसे ट्रेन एक पटरी से दूसरी पटरी पर पहुंच जाती है? जब ट्रेन अपना रूट बदलती है, उस समय कई लोगों को डर भी लगता है, लेकिन ट्रेन अपनी पटरी को बहुत ही आसानी से बदल लेती है.

ट्रेन कैसे चलती है ?

ट्रेन कैसे पटरी चेंज होती है या कैसे मुड़ती है, इस बारे में जानने के लिए पहले हमें यह जानना होगा कि ट्रेन कैसे चलती है?  ट्रेन पटरी को अंदर से पकड़कर चलती है यानी ट्रेन के टायर पटरी में सेट रहते हैं. टायर में पटरी के अंदर का हिस्सा बड़ा रहता है जो पटरी को जकड़कर रखने में मदद करता है. इसी वजह से जिस तरह ट्रेन की पटरी रहती है, उसी तरह ट्रेन आगे बढ़ती जाती है.

ट्रेन मुड़ती कैसे है ?

ट्रेन की पटरी सीधी ही रहती है, लेकिन जहां इसे मुड़ना होता है, वहां पटरी थोड़ी अलग रहती है.पटरी के बीच नुकीले रेल यानी लोहे की पटरी लगी रहती है. इससे आने वाली ट्रेन को दिशा मिलती है.ये थोड़ी घूमी हुई रहती है, इस वजह से ही ट्रेन को यहां थोड़ा सा घुमाना होता है या दूसरी पटरी पर शिफ्ट करना पड़ता है.यहां लॉक की जैसी पटरी होती है, जिसे साइड में चिपका दिया जाता है और इससे पटरी की दिशा बदल जाती है और ट्रेन दूसरी साइड में मुड़ जाती है. ये एक तरह से एडजस्टेबल पटरी होती है, ये ट्रेन को दिशा देने का काम करती है.

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ट्रेन को कौन एडजस्ट करता है?

पटरी चेंज कराने के लिए पटरी में एडजस्टेबल पटरी रहती है, लेकिन इसे ट्रेन के रास्ते के हिसाब से बदलना होता है. पहले ये काम रेल कर्मचारी की तरफ से किया जाता था और वो दिनभर मैनुअली हाथ से इसे बदल देता था. अब ऐसा नहीं होता है. आज के समय में यह काम मशीनों के द्वारा किया जाता है. सिग्नल और रूट के हिसाब से इसे मशीन एडजस्ट कर देती है और उस हिसाब से ही ट्रेन को दिशा मिल जाती है और वो घूम जाती है.

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