मार्गदर्शक दीप सर( होम स्कूल )
आज के इस दौर में 80% अभिभावक एक बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं, अभिभावक अपने बच्चों के क्षमता से कई गुना ज्यादा उनसे अपेक्षा रखते हैं।
अभिभावक चाहते हैं उनका बच्चा स्कूल में भी अव्वल आए कक्षा में भी अव्वल रहे अंग्रेजी गणित और विज्ञान ऐसे सभी सब्जेक्ट में अव्वल रहे और डांस भी सीखे, संगीत भी सीखे, ड्राइंग भी सीखें उसमें भी आगे रहे। वो तबला भी बजाएं , वह गिटार भी बजाएं , वह बांसुरी भी बजाएं वह, वेस्टर्न डांस भी सीखे , ओं कल्चरल डांस भी सीखे, ओं क्लासिकल डांस भी सीखे और संस्कृत भी बोले वह, अंग्रेजी भी बोले वह , हिंदी भी बोल, वह फॉरेन लैंग्वेज भी सीखें ।इतना सब एक छात्र के लिए तो संभव नहीं है। हां कोशिश करने से असंभव को भी संभव किया जा सकता है।पर क्या अभिभावक में इतना धीरज है , अभिभावक को यह सारी चीजें तुरंत चाहिए जैसे की बच्चे फैक्ट्री से निकलते आ रहे हो।
ऐसे अभिभावकों के लिए एक कहावत मुझे याद आती है जो की मराठी भाषा की हैं “एक ना धड भाराभर चिंध्या”इसका मतलब यह है की, है तो बहुत मगर काम का कुछ भी नहीं।याने सिखाया सब कुछ पर आता कुछ भी नहीं।बेसिक एजुकेशन यानी बच्चों का बेस पक्का हो और एक या दो तरह के हुनर अगर बच्चे सीख जाएं तो वे जिंदगी बहुत खुशी से जी सकते हैं । बस इस बात को समझने के लिए पूरी जिंदगी गंवानी पड़ती है।
मेरा अभिभावकों को सुझाव है की आप आपके बच्चों में पहले क्षमता निर्माण करें, क्षमता निर्माण होने तक धैर्य रखें- धीरज रखें । हर छात्र सब कुछ सीख सकता है । पर सीखने का समय सबका अलग अलग हो सकता है । कोई जल्दी सीख सकता है , तो किसी को वही बात सीखने के लिए देर लग सकती है। बच्चों को सीखने के लिए पूरा समय दें । दूसरे बच्चों के साथ अपने बच्चों की तुलना ना करें इससे बच्चों के मन में हीन भावना निर्माण होती है ।
आजकल बहुत से ऐसे सॉफ्टवेयर उपलब्ध है और टेस्ट उपलब्ध है जिससे हम हमारे बच्चों की छुपी हुई प्रतिभा ढूंढ सकते हैं इस विषय पर अगर आपको अधिक जानकारी चाहिए तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हो।बच्चों में शिक्षा संबंधी कोई भी समस्या हो तो आप हमें बताइए हमारे पास लगभग सभी शैक्षणिक समस्याओं का हल उपलब्ध है।
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